दूरसंचार विभाग (डीओटी) मसौदा दूरसंचार विधेयक में चिह्नित अपराधो ( शिड्यूल-3 से संबंधित) की सूची का दायरा बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र से सुझाव हासिल करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन वह जुर्माना घटाने को इच्छुक नहीं है।
सरकार का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान तेजी से बढ़ी इस तरह की धोखाधड़ी के लिए जुर्माना जरूरी है। एक अधिकारी ने कहा, ‘सरकार को भरोसा है कि जुर्माने के तौर पर सख्त कदम उठाना उन खास धोखाधड़ी के लिए जरूरी है, जिनमें पिछले कुछ वर्षों के दौरान तेजी से इजाफा हुआ। मसौदा विधेयक में इन अपराधों के लिए जुर्माना तय किया गया है।’
अधिकारी ने कहा कि दूरसंचार विभाग अब मसौदा विधेयक में निर्धारित अपराधों की सूची का आकार बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र से सुझावों का इंतजार करेगा। हालांकि अधिकारियों ने संकेत दिया है कि सरकार इस संबंध में तय किए गए बड़े जुर्माने में कमी करने को इच्छुक नहीं है।
मसौदा विधेयक में शिड्यूल-3 के तहत अपराध की आठ प्रमुख श्रेणियां भी शामिल की गई हैं, जैसे लाइसेंस के बगैर दूरसंचार सेवा या नेटवर्क की सुविधा मुहैया कराना, दूरसंचार नेटवर्क तक गैर-कानूनी तरीके से पहुंच बनाना, राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाना और ऐसे उपकरण रखना जिनसे दूरसंचार बाधित हो।
धोखेबाजों पर निशाना
इन घटनाक्रम से अवगत लोगों का कहना है कि हालांकि, जहां इन सभी अपराधों के लिए हितधारकों की प्रतिक्रियाओं पर विचार किया जाएगा, लेकिन सरकार कई तरह के अपराधों से मुकाबलों में दिलचस्पी दिखा रही है। सरकार के पास मौजूद आंकड़े के अनुसार, कॉल-आधारित घोटालों और धोखाधड़ी की ज्यादातर शिकायतों को शिड्यूल-3 में दो विशेष अपराधों के तहत श्रेणीबद्ध किया जा सकता है: पहचान का गलत इस्तेमाल और दूरसंचार कंपनियों के अधिकारियों की नकल कर ठगी करना।
हालांकि ये जमानती अपराध बने हुए हैं, लेकिन मसौदा विधेयक में प्रत्येक मामले में भारी जुर्माना लगाने पर जोर दिया गया है। मसौदा विधेयक में कहा गया है कि पहचान का गलत इस्तेमाल करने संबंधित अपराध से एक साल तक कारावास, या 50,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है या दूरसंचार सेवा रद्द की जा सकती है। नकली अधिकारी बनकर ठगी करने वाले व्यक्ति को तीन साल तक का कारावास, या 50 लाख रुपये का जुर्माना या दूरसंचार सेवा से निलंबन (यदि वह दूरसंचार सेवा से जुड़ा हुआ हो तो), या फिर ये तीनों सजाएं सुनाई जा सकती हैं।
ट्रूकॉलर से प्राप्त आंकड़े के अनुसार, भारत स्पैम कॉल का चौथा सबसे बड़ा उदाहरण है, और टेली-स्कैमरों के लिए हब के तौर पर उसकी कुख्याति बढ़ी है। पिछले दो वर्षों के दौरान, विदेशी नीति-विषयक हैकरों ने गुड़गांव, कोलकाता और मुंबई में बड़े पैमाने पर स्थित स्कैमर गतिविधियों की जानकारी कई बार भारतीय कानून प्रवर्तन अधिकारियों को मुहैया कराई है। फर्जी व्यवसाय पंजीकरण के तहत परिचालन कर रहीं ये कंपनियां सैकड़ों कर्मचारियों के साथ बड़े कॉल सेंटर चलाती हैं और अक्सर अमेरिका और यूरोप में वरिष्ठ नागरिकों को धोखाधड़ी का शिकार बनाती हैं।
उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के उपायों को ध्यान में रखते हुए मसौदा विधेयक में उन खास मैसेज पर लगाम लगाने पर जोर दिया गया है जिनमें दूरसंचार उपयोगकर्ताओं से संबंधित पेशकशों, विज्ञापन, सेवाएं, संपत्ति में दिलचस्पी, व्यवसाय के अवसर आदि की पेशकश की जाती है।
अधिकारी ने कहा, ‘अपडेटेड डू-नॉट-डिस्टर्ब रजिस्ट्री के निर्माण और स्पैम कॉल के खतरे को दूर करने के लिए बेहतर निगरानी दिशा-निर्देशों से इस समस्या को घटाने में मदद मिलेगी। लेकिन सेवा प्रदाताओं के साथ परामर्श जरूरी होगा, क्योंकि इससे भी इस संदर्भ में बड़ी मदद मिलेगी। मौजूदा मसौदा विधेयक के तहत डू-नॉट-डिस्टर्ब रजिस्ट्री के उल्लंघन पर जुर्माना लगेगा।’
