Paytm-Byju’s Crisis: फिनटेक कंपनी पेटीएम (Paytm) और एजुकेशन टेक कंपनी बायजू (Byju’s) इस समय काफी मुश्किल दौर से गुजर रहीं हैं। इस बीच इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) का फाइनेंशियल रिपोर्टिंग रिव्यू बोर्ड (FRRB) आने वाले समय में पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (Paytm Payments Bank Ltd) से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श कर सकता है। इसकी जानकारी आईसीएआई के अध्यक्ष रंजीत कुमार अग्रवाल ने रविवार को दी।
उन्होंने बताया कि FRRB इस समय कथित प्रशासन संबंधी चिंताओं को लेकर एजुकेशन टेक कंपनी बायजू (Byju’s) के अकाउंट का भी रिव्यू कर रहा है, जिसकी प्रक्रिया अच्छी तरह से हो रही है।
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उन्होंने पीटीआई-भाषा को एक इंटरव्यू के दौरान बताया, अभी तक, हमने इस पर (Paytm मुद्दे) विचार नहीं किया है, लेकिन निकट भविष्य में FRRB की बोर्ड बैठक होगी। साथ ही जरूरत पड़ने पर उचित कार्रवाई पर विचार भी किया जाएगा।
अग्रवाल ने कहा कि ICAI की एफआरआरबी समेत नव निर्वाचित कमेटी की मार्च से बैठकें शुरू होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि एफआरआरबी यह फैसला कर सकता है कि भुगतान बैंक (Payment Bank) के बहीखातों की जांच जरूरी है या नहीं।
शेयर बाजार के खुलते ही ऑनलाइन पेमेंट ऐप पेटीएम के शेयरों (Paytm Share) में तेजी देखने को मिली। कंपनी के शेयर की कीमत 5 प्रतिशत के अपर सर्किट पर लगने के साथ लॉक हो गई।
बता दें कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक (Paytm Payments Bank) 15 मार्च से बंद होना है मगर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कुछ और उपायों की घोषणा की ताकि बैंक बंद होने के बाद लोगों को कम से कम परेशानी हो।
RBI ने कहा है कि पेटीएम के यूपीआई हैंडल यानी @paytm (भुगतान के लिए वर्चुअल एड्रेस या वीपीए) को पेटीएम पेमेंट्स बैंक के बजाए कुछ चुने हुए बैंकों को सौंप दिया जाएगा ताकि यूजर्स को सेवाओं में किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े।
रिजर्व बैंक ने भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) से कहा है कि वह इस बारे में पेटीएम की मूल कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस के अनुरोध पर विचार करे।
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प्रोसस और जनरल अटलांटिक जैसे कुछ निवेशकों द्वारा पिछले हफ्ते बुलाई गई ईजीएम में लिए गए फैसलों पर मतभेद सामने आ रहे हैं। इस बैठक में कंपनी के संस्थापक बैजू रवींद्रन (Byju Raveendran) को बोर्ड से हटाने सहित सात प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी।
अपनी टीम के सदस्यों को भेजे ईमेल में रवींद्रन ने कहा कि कंपनी के 170 शेयरधारकों में से केवल 35 ने ही प्रस्ताव के पक्ष में अपना मत दिया है और कंपनी की कुल शेयरहोल्डिंग में इनकी हिस्सेदारी महज 45 फीसदी है। इससे पता चलता है कि इस ‘फिजूल’ बैठक को बहुत कम समर्थन मिला था।
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सूत्रों ने कहा कि रवींद्रन ने ईजीएम को अवैध करार देते हुए बताया कि प्रस्ताव को साधारण बहुमत भी नहीं मिला।