उपग्रह संचार कंपनी वनवेब (OneWeb) अंतरिक्ष पर्यटन कराने और चंद्रमा या मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की होड़ में नहीं पड़ेगी। भारती एंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने जूम कॉल पर आज संवाददाताओं से कहा कि इसके बजाय कंपनी दुनिया के उन 3 अरब लोगों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी मुहैया कराने पर ध्यान देगी, जिन्हें फिलहाल हाई स्पीड इंटरनेट नहीं मिल रहा है।
मित्तल वनवेब के कार्यकारी चेयरमैन भी हैं। उन्होंने कहा कि भारत में उपग्रह संचार सेवा जुलाई-अगस्त के आसपास शुरू होने की उम्मीद है। मगर अभी स्पेक्ट्रम आवंटन पर स्थिति साफ होने का इंतजार है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हमारा जोर संचार क्षेत्र पर ही रहेगा। कई महत्त्वाकांक्षी उद्यमी चंद्रमा और मंगल ग्रह पर कॉलोनी स्थापित करना चाहते हैं। इस उम्र में तो मैं ऐसा होता देखकर ही खुश हूं। काश, मैं 30 साल के करीब होता तो यह सब खुद शुरू करता।’ वनवेब का लक्ष्य ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सेवा को देश के दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचाना और डिजिटल खाई पाटना है।
वनवेब ने 618 उपग्रहों के समूह को पूरा करने के लिए आज सुबह अंतिम 36 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया। इससे पहले कंपनी ने बताया कि श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने उपग्रह अंतरिक्ष में तैनात किए हैं। पूरी दुनिया को ब्रॉडबैंड के दायरे में लाने के लिए वनवेब ने 588 उपग्रहों के समूह का डिजाइन तैयार किया है और अतिरिक्त उपग्रहों की योजना बनाई गई है।
कंपनी ने कहा, ‘वनवेब इस साल के अंत तक कनेक्टिविटी के अपने मौजूदा साधनों को बेहतर बनाते हुए दुनिया भर में ब्रॉडबैंड देने के लिए तैयार होगी।’ मित्तल ने कहा कि अंतरिक्ष उद्योग में काफी गहमागहमी है मगर यहां कई कंपनियों के लिए जगह है। उन्होंने कहा कि कई खिलाड़ी रहेंगे तो मजबूती आएगी।
मित्तल ने कहा कि अंतरिक्ष संचार उद्योग में वेनवेब के अलावा ईलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स द्वारा संचालित इंटरनेट उपग्रहों का समूह स्टारलिंक और एमेजॉन के निवेश वाली परियोजना कुइपर मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि वनबेव एकमात्र ऐसी कंपनी है जिसके पास पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) के साथ-साथ भूस्थैतिक कक्षा में भी उपग्रह मौजूद हैं। इससे काफी ताकत मिलती है।
मित्तल ने बताया कि वनवेब भारत या दुनिया की किसी भी दूरसंचार कंपनी के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करेगा। कंपनी अपनी सेवाओं को लाइव करने के लिए अमेरिकी कंपनी वेरिजॉन एवं अन्य के साथ काम कर रही है।
मित्तल ने कहा कि सभी आवश्यक लाइसेंस मौजूद हैं लेकिन सरकार की आगामी अंतरिक्ष संचार नीति और स्पेक्ट्रम आवंटन के बारे में अंतिम निर्णय का इंतजार है। उन्होंने कहा कि दूरसंचार उद्योग की कई कंपनियों का कहना है कि अंतरिक्ष संचार सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन नीलामी के जरिये होना चाहिए।
मित्तल ने कहा, ‘उम्मीद है कि सरकार वैश्विक राह (नीलामी का विकल्प न चुनने) पर ही चलेगी।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि अंतरिक्ष संचार नीति के तहत इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी जाएगी।
इस बीच पिछले महीने जारी दूरसंचार विधेयक के मसौदे में दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा का विस्तार करते हुए उसमें उपग्रह आधारित संचार को शामिल किया है ताकि स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए विशेष अधिकार मिल सके।
मितल ने कहा कि वनवेब ग्राहकों को सीधे सेवाएं नहीं देगी। ग्राहकों को सेवाएं एयरटेल की इकाई के जरिये दी जाएंगी।