वस्तु एवं सेवा कर आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने पैसे वाले ऑनलाइन गेम खिलाने वाली कई फर्मों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी के आरोप में नोटिस भेजे हैं। कई फर्में नोटिस को चुनौती देने अदालत भी पहुंच गई हैं। उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि सभी प्रमुख गेमिंग फर्मों को नोटिस जाने के बाद जीएसटी की कुल बकाया राशि 1.5-2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।
देश की तीन यूनिकॉर्न गेमिंग कंपनियों में से दो- ड्रीम 11 और गेम्स 24×7 को पहले ही शुरुआती नोटिस भेजे जा चुके हैं। तीसरी कंपनी एमपीएल है, जिसे अभी नोटिस नहीं मिला है लेकिन कंपनी को जानने वालों ने कहा कि इसे भी अगले हफ्ते तक नोटिस मिल जाएगा।
नोटिस पाने वाली अन्य कंपनियों में बेंगलूरु की गेम्सक्राफ्ट और हेड डिजिटल वर्क्स शामिल हैं। जानकारों ने कहा कि गेम्स 24×7 को 20,000 करोड़ रुपये का शुरुआती नोटिस पहले ही भेजा जा चुका है और 5,000 करोड़ रुपये का नोटिस हेड डिजिटल वर्क्स को भी जा चुका है।
एक बड़ी गेमिंग फर्म के एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘अधिकतर बड़ी गेमिंग फर्में अगले हफ्ते तक कर नोटिस मिलने का अंदेशा जता रही हैं। जीएसटी का कुल बकाया 1.5-2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। सरकार को उम्मीद है कि कंपनियां शुरुआत में अपने बकाये का 20 फीसदी हिस्सा चुका देंगी। ऐसा नहीं हुआ तो कंपनियों के कुछ अधिकारियों को जेल भी भेजा जा सकता है।’
आयकर विभाग कंपनियों को उनकी बकाया रकम के बारे में बताने के लिए कारण बताओ नोटिस से पहले एक शुरुआती नोटिस भेजता है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने पहले ही खबर दी थी कि करीब 80 ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को 10,000 से 12,000 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी के आरोप में कर नोटिस का सामना करना पड़ सकता है।
इस साल जुलाई में ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी कर लगाने के जीएसटी परिषद के निर्णय के बाद नोटिस भेजे जा रहे हैं। कौशल आधारित खेलों वाले गेमिंग प्लेटफॉर्म में फिलहाल प्लेटफॉर्म शुल्क पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी दिया जा रहा है। 1 अक्टूबर से लागू होने जा रहे नए नियमों में कौशल या मौके के खेलों के बीच कोई अंतर नहीं किया गया है।
सूत्रों ने कहा कि इन नोटिसों को चुनौती देने के लिए कई कंपनियां कानून का सहारा ले रही हैं। उदाहरण के लिए ड्रीम 11 की प्रवर्तक कंपनी ड्रीम स्पोर्ट्स ने कर विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस को चुनौती देते हुए बंबई उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की है।
टीएमटी लॉ प्रैक्टिस में मैनेजिंग पार्टनर अभिषेक मल्होत्रा ने कहा, ‘फिलहाल ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां इन नोटिस को अदालतों में रिट याचिका के जरिये ही चुनौती दे सकती हैं। डीआरसी-01ए के माध्यम से भेजे गए शुरुआती नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका को जल्दबाजी कहकर खारिज किया जा सकता है। लेकिन सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 73 या 74 के तहत भेजे गए कारण बताओ नोटिस के विरुद्ध रिट याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार की जा सकती है।’
ड्रीम 11 के ऊपर गेम्सक्राफ्ट से काफी ज्यादा बकाया हो सकता है। गेम्सक्राफ्ट को पिछले साल सितंबर में 21,000 करोड़ रुपये का जीएसटी बकाया नोटिस भेजा गया था। खबरों के अनुसार ड्रीम 11 पर 25,000 से 40,000 करोड़ रुपये के बीच बकाया हो सकता है। वित्त वर्ष 2022 में ड्रीम 11 को 142 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था और उसकी परिचालन आय 3,841 करोड़ रुपये रही थी।
इस बीच गेम्सक्राफ्ट को भेजा गया नोटिस कर्नाटक उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। उस आदेश को राजस्व विभाग ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। इस महीने की शुरुआत में शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी और अगले महीने की शुरुआत में इस मामले पर सुनवाई करने का निर्णय किया है। इस मामले में शीर्ष अदालत का निर्णय ऑनलाइन गेमिंग की जांच के लिए नजीर बन सकता है।
उद्योग के एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि राजस्व विभाग द्वारा कंपनियों को उनकी आय से 2-3 गुना ज्यादा रकम के जीएसटी नोटिस भेजे गए हैं। इतनी रकम चुका पाना कंपनियों के लिए मुमकिन ही नहीं है।
डीजीजीआई उन कसीनो कंपनियों पर भी सख्ती दिखा रहा है, जिन पर कर नहीं चुकाने का आरोप है। पिछले हफ्ते डेल्टा कॉर्प को 11,139 करोड़ रुपये का कर नोटिस मिला था। इसमें बकाया जीएसटी के साथ ही ब्याज और जुर्माना भी लगाया गया है।