रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और रूस की सरकारी तेल कंपनी रॉसनेफ्ट के बीच संभावित तेल आपूर्ति सौदे से देश में कच्चे तेल की आपूर्ति में स्थिरता सुनिश्चित होगी। अधिकारियों ने बताया कि यह सौदा भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की रॉसनेफ्ट की योजना का हिस्सा है।
रॉयटर्स की खबर के अनुसार, रॉसनेफ्ट ने दोनों देशों के बीच अब तक के सबसे बड़े ऊर्जा सौदे के तहत आरआईएल को करीब 5,00,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल की आपूर्ति करने के लिए सहमति जताई है। खबर में कहा गया है कि यह अनुबंध 10 वर्षों के लिए होगा और कच्चे तेल की कुल वैश्विक आपूर्ति में इसकी 0.5 फीसदी हिस्सेदारी होगी। आज के भाव के लिहाज से यह सौदा सालाना करीब 13 अरब डॉलर का है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने संभावित करार के आकार की पुष्टि किए बिना कहा कि सरकार को आरआईएल और रॉसनेफ्ट के बीच बातचीत के अंतिम चरण में पहुंचने की जानकारी है। उन्होंने कहा कि कोई भी सौदा भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए रॉसनेफ्ट के प्रयासों का हिस्सा होगा।
एक अधिकारी ने कहा, ‘वाणिज्यिक अनुबंध गोपनीय और बाजार स्थितियों पर आधारित होता है। सरकार उसमें दखल नहीं होती है। मगर ऐसे सौदों से आपूर्ति में बेहतर स्थिरता सुनिश्चित होगी। यहां तक कि कीमतों में लंबे समय तक नरमी बने रहने पर भी आपूर्ति में स्थिरता सुनिश्चित करना बेहद महत्त्वपूर्ण होता है।’ इस बाबत जानकारी के लिए मंत्रालय से पूछे गए सवालों का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रवक्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हम किसी गोपनीय आपूर्ति सौदे के विवरण पर टिप्पणी नहीं करते हैं। कोई भी आपूर्ति ऐसे फीडस्टॉक के भारतीय खरीदारों पर लागू मौजूदा प्रतिबंध नीतियों के अनुरूप होती है।’ रॉसनेफ्ट बाजार पूंजीकरण के लिहाज से रूस की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है जिसकी आय सबसे अधिक है।
अधिकारी ने बताया कि हाल के वर्षो में उसने भारतीय बाजार में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने दिसंबर के आरंभ में कहा था कि रॉसनेफ्ट ने भारत में 20 अरब डॉलर का निवेश किया है। मगर उन्होंने उसके बारे में विस्तृत खुलासा नहीं किया था।
पिछले साल रॉसनेफ्ट ने सार्वजनिक क्षेत्र के रिफाइनरों के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित करते हुए भारत में एक नई रिफाइनरी स्थापित करने में दिलचस्पी दिखाई थी। उसने गोविंद कोट्टियेथ शाह को अपने बोर्ड में भी शामिल किया था। शाह इससे पहले इंडियन ऑयल के विभिन्न संयुक्त उद्यमों के चेयरमैन रह चुके हैं।
फिलहाल रॉसनेफ्ट के निवेश वाली न्यारा एनर्जी के भारत में 6,000 से अधिक पेट्रोल पंप मौजूद हैं। इसके अलावा 1,200 अन्य पेट्रोल पंप निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। कंपनी गुजरात के वाडिनार में भारत की दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी का संचालन भी करती है जिसकी उत्पादन क्षमता 4,05,000 बैरल प्रति दिन है।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि इतना बड़ा सौदा रॉसनेफ्ट को ऐसे समय में अपने वैश्विक व्यापारिक संबंधों को बनाए रखने में मदद करेगा जब अमेरिका कथित तौर पर रूस की कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के बारे में सोच रहा है। अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा, ‘अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति अगले महीने अपने पद से मुक्त होने से पहले रूस की कंपनियों पर सख्त प्रतिबंध लगाना चाहते हैं। ऐसे में भारतीय कंपनियों के साथ एक बड़ा सौदा मॉस्को को एक संदेश देने में भी मदद करेगा।’
इस सौदे से रूस के कच्चे तेल में आरआईएल का निवेश भी बढ़ जाएगा, जिस पर अमेरिका द्वारा लगातार प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। आरआईएल के प्रवक्ता ने कहा, ‘जहां तक रूस से तेल आपूर्ति के बारे में आपका सवाल है तो आप भलीभांति जानते हैं कि रूस फिलहाल भारत को कच्चे तेल की आूपर्ति करने वाला सबसे बड़ा देश है। इस संबंध में काफी खबरें आ चुकी हैं।
हम अपनी रिफाइनरी की फीडस्टॉक सोर्सिंग के लिए रूस सहित कई अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं के साथ हमेशा करार करते रहते हैं। आम तौर पर ऐसे आपूर्ति करार अगले वर्ष के लिए किए जाते हैं।’वित्त वर्ष 2023 के दौरान भारत के कुल कच्चे तेल आयात में रूस से मंगाए गए कच्चे तेल का अनुपात धीरे-धीरे बढ़ता गया और मार्च 2023 तक करीब 40 फीसदी तक पहुंच गया।