केयर्न ऑयल ऐंड गैस अगले महीने असम में एक नया उद्यम शुरू करने के लिए तैयार है। शुरुआती चरण में कंपनी चार हाइड्रोकार्बन ब्लॉकों में 10 कुओं की ड्रिलिंग शुरू करेगी। ये ब्लॉक असम-अरुणाचल प्रदेश और असम-नगालैंड सीमा के आसपास हैं।
कंपनी के डिप्टी सीईओ स्टीफन मूर ने 2024 इंडिया एनर्जी वीक आयोजन के दौरान बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कंपनी ने 40 फीसदी की औसत अनुमानित सफलता दर के साथ असम में ड्रिलिंग एवं मूल्यांकन के लिए दो रिगों का परिचालन जारी रखने की योजना बनाई है।
मूर ने यह भी बताया कि खोज के मामले में कंपनी की क्या रणनीति होगी। उन्होंने कहा, ‘जब कोई अनिश्चितता नहीं होगी तो आप उसे विकसित कर सकते है। मगर उसके लिए आपको रिग को विकसित करने की जरूरत होगी। हम उस क्षेत्र में 20 कुओं की ड्रिलिंग करने जा रहे हैं। अगर अनिश्चितता हुई हो हम आकलन के लिए 2 से 3 कुओं की ही ड्रिलिंग करेंगे।’
उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण से परियोजना की वित्तीय प्राप्ति में तेजी आएगी। केयर्न के पास असम के अराकान बेसिन में 12 ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) ब्लॉक और 3 खोजे गए छोटे क्षेत्र (डीएसएफ) ब्लॉक के साथ कुल 7,650 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र उपलब्ध है। इसमें करीब 1 अरब बैरल तेल के लिए संसाधन क्षमता होने का अनुमान है।
पिछले साल हजारीगांव क्षेत्र में परिचालन शुरू होने के साथ ही केयर्न असम के डीएसएफ ब्लॉक से गैस का उत्पादन करने वाली पहली कंपनी बन गई। इस परियोजना के फरवरी में ही शुरू होने की उम्मीद थी, मगर उच्च गुणवत्ता वाली भूमि रिग के अभाव में उसे देरी का सामना करना पड़ा है। मूर ने बताया कि समस्या भारत में भूमि रिगों की कमी का नहीं, बल्कि उनकी गुणवत्ता का है। उन्होंने कहा, ‘हमें ऐसी कंपनियों की जरूरत है जो विश्वस्तरीय रिगों में निवेश करें।’
भूमि रिग का उपयोग भूगर्भीय जलाशयों की पहचान करने और उनसे तेल या प्राकृतिक गैस को कुशलतापूर्वक निकालने में किया जाता है। मूर ने आवश्वस्त किया कि वैश्विक स्तर पर भूमि रिगों की उपलब्धता कम होने के बावजूद केयर्न के पास असम परियोजना के लिए पर्याप्त विकल्प हैं। उन्होंने बताया कि बाजार में आने के बाद रिग के लिए 7 प्रस्ताव मिले हैं।
केयर्न ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के जटिल भूगर्भविज्ञान को नेविगेट करने के लिए आधुनिक भूकंपीय विश्लेषण और प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी को तैनात करने की योजना बनाई है। मूर ने कहा कि केयर्न के अधिकांश ब्लॉक कुर्दिस्तान (इराक), इटली और अल्बानिया की तरह मुड़े हुए थ्रस्ट बेल्ट में हैं।
कंपनी के पास लार्ज-स्केल फुल-टेंसर ग्रेडियोमेट्री (एफटीजी) हवाई सर्वेक्षण हैं जो उपसतह भूगर्भ विज्ञान के कारण गुरुत्वाकर्षण में बदलाव दर को सभी दिशाओं में मापते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह शुद्ध चुंबकीय गुरुत्वाकर्षण सर्वेक्षण से बेहतर है और बेसमेंट स्तर पर संरचनात्मक रुझानों की अधिक स्पष्ट तस्वीर देता है।’
मूर ने कहा कि कुएं गहरे होने के कारण असम में फ्रैकिंग की जरूरत नहीं होगी। इसलिए कंपनी लंबी क्षैतिज एवं बहुपक्षीय ड्रिलिंग के साथ-साथ कॉइल्ड ट्यूबिंग ड्रिलिंग का उपयोग करेगी।