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Oil companies profit: तीन गुना बढ़ेगा तेल कंपनियों का ऑपरेटिंग मुनाफा, कमा सकती है 1 लाख करोड़ रुपये

Oil companies रिफाइनिंग और पेट्रोल पंपों के जरिये Petrol, Diesel की बिक्री से पैसे कमाती हैं

Last Updated- July 26, 2023 | 12:55 PM IST
Oil companies pre-tax profit seen jumping three times to Rs 1 lakh cr this fiscal: Report

घरेलू बाजार में ऊंचे खुदरा मूल्य और विदेशी बाजारों में कच्चे तेल के दाम कमोबेश निचले स्तर पर रहने से पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में कम-से-कम एक लाख करोड़ रुपये का कर-पूर्व लाभ ( pre-tax profit) हासिल होने की उम्मीद है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

चालू वित्त वर्ष में अबतक कच्चे तेल की कीमत (crude prices) एक साल पहले की तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक नीचे आ चुकी है। वहीं पेट्रोलियम कंपनियों ने इस दौरान दाम नहीं घटाए हैं। तेल कीमतों में मई, 2022 से कोई बदलाव नहीं हुआ है।

क्रिसिल (Crisil) ने बुधवार को जारी एक नोट में कहा कि चालू वित्त वर्ष में पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियां (OMC) एक लाख करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग प्रॉफिट कमा सकती हैं। वित्त वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान पेट्रोलियम कंपनियों का औसत परिचालन लाभ (ऑपरेटिंग प्रॉफिट ) 60,000 करोड़ रुपये रहा था। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में तो यह 33,000 करोड़ रुपये के निचले स्तर पर आ गया था। यह रिपोर्ट सार्वजनिक क्षेत्र की तीन पेट्रोलियम कंपनियों पर आधारित है।

कैसे पैसे कमाती हैं पेट्रोलियम कंपनियां ?

पेट्रोलियम कंपनियां दो कारोबार से पैसा कमाती हैं। पहला रिफाइनिंग है। इसमें उन्हें सकल रिफाइनिंग (gross refining margin) मार्जिन मिलता है। यह रिफाइनरी के गेट पर शोधित उत्पाद के दाम में से कच्चे तेल का दाम घटाकर निकाला जाता है।

दूसरा कारोबार पेट्रोल पंपों के जरिये पेट्रोल, डीजल की बिक्री का है। इसमें उन्हें ईंधन उत्पादों पर मार्जिन मिलता है।

वित्त वर्ष 2022-23 में पेट्रोलियम कंपनियों का सकल रिफाइनिंग मार्जिन औसतन 15 डॉलर प्रति बैरल था। इसकी वजह विशेषरूप से डीजल की मांग मजबूत रहना है।

रूस पर लगे बैन, बढ़ गई डीजल की मांग

वैकल्पिक ईंधन मसलन प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ने तथा यूक्रेन पर हमले के बाद रूसी उत्पादों पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंध की वजह से डीजल की मांग मजबूत रही थी। हालांकि, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बावजूद इन कंपनियों को ऊंचा खुदरा दाम नहीं मिला। वित्त वर्ष के लिए कच्चे तेल का औसत दाम 94 डॉलर प्रति बैरल था। मई, 2022 से खुदरा कीमतों में बदलाव नहीं हुआ है। इसके चलते पेट्रोलियम कंपनियों को मजबूत रिफाइनिंग मार्जिन के बावजूद मार्केटिंग पर आठ रुपये प्रति लीटर का नुकसान हुआ, जिससे पूरे वित्त वर्ष के दौरान उनका मुनाफा प्रभावित हुआ।

रिपोर्ट कहती है कि अच्छी बात यह है कि अब कच्चे तेल के दाम नीचे आ गए हैं। इसके चलते 2022-23 की पहली तिमाही में ऑपरेटिंग नुकसान उठाने के बाद चौथी तिमाही तक इन कंपनियों ने ऊंचा ऑपरेटिंग प्रॉफिट कमाया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन पेट्रोलियम कंपनियों ने 2016-17 से 2022-23 के बीच अपने निवेश को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाकर 3.3 लाख करोड़ रुपये किया है। इससे उनका सकल कर्ज (gross debt) भी दोगुना होकर 2016-17 के 1.2 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2.6 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। हालांकि, इस दौरान उनका मुनाफा कमजोर रहा है। चालू वित्त वर्ष में पेट्रोलियम कंपनियों का निवेश 54,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

First Published - July 26, 2023 | 12:55 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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