कॉरपोरेट प्रशासन फर्म इनगवर्न ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि शॉर्ट सेलिंग को शेयरधारक सक्रियता नहीं माना जा सकता है और ऐसे प्रयास प्रबंधन तथा अन्य कंपनियों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं।
वोटिंग एडवायजरी फर्म ने कहा, ‘हिंडनबर्ग समेत कई शॉर्ट सेलर को वैश्विक पूंजी बाजारों और अमेरिका में भी ज्यादा सम्मान नहीं मिलता है, इन पर एसईसी (सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज कमीशन) और डीओजे (डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस) द्वारा इनकी जांच चल रही है, क्योंकि शॉर्ट सेलर सिर्फ अपना हित देखते हैं, भले ही इससे अन्य निवेशकों को नुकसान पहुंचता हो।’
बुधवार को अपनी शॉर्ट सेलिंग के लिए चर्चित अमेरिकी निवेशक हिंडनबर्ग ने भारत के अदाणी समूह के खिलाफ अकाउंटिंग और बाजार संबंधित हेरफेर का आरोप लगाया था। इसकी रिपोर्ट उसी दिन जारी की गई थी जिस दिन समूह की प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज का 20,000 करोड़ रुपये का अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) एंकर निवेशकों के लिए खुला था।
इस रिपोर्ट के बारे में खबर फैलते ही अदाणी समूह से जुड़ी सात सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट आ गई और उनका बाजार मूल्य 85,761 करोड़ रुपये तक घट गया। सभी सातों कंपनियों के शेयरों में शुक्रवार को भी नुकसान बढ़ गया। इनगवर्न ने कहा है कि सकारात्मक शेयरधारक सक्रियता वह होती है जिसमें निवेशक बदलाव लाने के बारे में कंपनी प्रबंधन और उसके कार्यों से जुड़े होते हैं, और उसका स्वागत किया जाना चाहिए, शॉर्ट सेलर्स का नहीं, जो सिर्फ अवसरवादी होते हैं।
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अदाणी समूह पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बारे में अपने विचार साझा करते हुए इनगवर्न ने कहा है, ‘हिंडनबर्ग रिपोर्ट में इसे लेकर नया कुछ नहीं है, और यह अदाणी समूह के खिलाफ पिछले सभी आरोपों का संकलन है।’