सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने कहा कि अदाणी समूह (Adani Group) की जांच से निपटने के तरीके में बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की ओर से कोई नियामकीय विफलता नहीं पाई गई है। छह सदस्यीय समिति ने 6 मई को अपनी अंतरिम रिपोर्ट अदालत को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में अदाणी समूह के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी की गई थी। अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग संस्था हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अदाणी समूह पर हमले तेज हो गए थे। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अदाणी समूह का बाजार मूल्य 12 लाख करोड़ रुपये तक फिसल गया था।
रिपोर्ट शुक्रवार को सार्वजनिक हो गई जिसके बाद अदाणी समूह के 10 शेयरों में 1 प्रतिशत से लेकर 7 प्रतिशत तक की उछाल दर्ज की गई। शेयरों में तेजी के बाद समूह के बाजार पूंजीकरण में 34,000 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। हालांकि, अदाणी समूह की कंपनियों का बाजार मूल्यांकन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अब भी 10 लाख करोड़ रुपये कम है।
किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने के लिए सेबी न्यूनतम शेयरधारिता और संबंधित पक्षों के बीच लेनदेन की शर्तों के उल्लंघन की जांच कर रहा है। समझा जा रहा है कि बाजार नियामक 14 अगस्त तक किसी निष्कर्ष तक पहुंच जाएगा। जांच पूरी करने के लिए उच्चतम न्यायालय ने यह तारीख तय की है।
छह सदस्यीय समिति ने 173 पृष्ठों की अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘इस समय सेबी ने आंकड़ों के आधार पर जो स्पष्टीकरण दिए हैं उन पर विचार करने के बाद समिति के लिए इस नतीजे पर पहुंचना संभव नहीं है कि शेयरों की कीमतों में धांधली के आरोपों के संबंध में नियामकीय स्तर पर किसी तरह की चूक हुई थी।’
अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतों में धांधली के आरोप पर समिति ने कहा कि किसी तरह के गैर-वाजिब या शेयरों की कीमतों में धांधली से जुड़े कारोबार होने के सबूत नहीं मिले हैं। हालांकि, विशेषज्ञ समिति ने यह पाया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट प्रकाशित होने से पहले कुछ इकाइयों ने शॉर्ट पोजीशन ली थी और अमेरिकी शॉर्ट सेलर की रिपोर्ट आने के बाद अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट से मुनाफा कमाया था।
रिपोर्ट से पता चला है कि सेबी इस समय इन इकाइयों की जांच कर रहा है। समिति ने यह भी पाया कि 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद उत्पन्न अनिश्चितता केवल अदाणी समूह के शेयरों तक ही सीमित रही और शेयर बाजार में कारोबार या परिचालन पर कोई कसर नहीं हुआ।
समिति ने कहा है कि बाजार ने अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें नए स्तर पर हैं। समिति ने कहा, ‘अदाणी शेयर 24 जनवरी से पूर्व के स्तरों पर वापस नहीं पहुंच पाए होंगे मगर नए स्तरों पर शेयर स्थिर हैं। समिति ने कहा कि कर्ज बोझ कम करने सहित अदाणी समूह द्वारा उठाए गए कदमों से निवेशक फिर भरोसा दिखाने लगे हैं।’
एमपीएस अनुपालन के विषय पर समिति ने कहा कि अगर सेबी की रिपोर्ट में यह बात साबित हो जाती है कि अदाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश करने वाले एफपीआई प्रवर्तकों से जुड़े हैं तो इसका मतलब होगा कि समूह की कंपनियां एमपीएस नियमों का अनुपालन नहीं कर रही हैं।