नेस्ले इंडिया भारत से निर्यात बढ़ाने के लिए हाल में घोषित उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) का लाभ उठाने की योजना बना रही है। एक शीर्ष कार्याधिकारी ने कहा कि कंपनी अपनी योजना का खाका तैयार करने से पहले योजना के विस्तृत ब्योरे आने का इंतजार कर रही है। नेस्ले ऐसी पहली प्रमुख खाद्य कंपनी है, जिसने पिछले सप्ताह सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन योजना में रुचि दिखाई है।
कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेश नारायण के मुताबिक प्रोत्साहन योजना के उद्देश्यों और नेस्ले इंडिया की विस्तार योजनाओं के तालमेल से कंपनी को निर्यात कारोबार बढ़ाने का अपना मकसद हासिल करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा, ‘वित्त मंत्री ने खाद्य प्रसंस्करण के लिए पीएलआई योजना की घोषणा की है, जो बहुत ही सकारात्मक कदम है। हम योजना का विस्तृत विवरण आने का इंतजार कर रहे हैं। जब योजना के सभी ब्योरे प्राप्त हो जाएंगे तो हम यह आकलन करेंगे कि कैसे हमारा निर्यात कारोबार बढ़ाया जा सकता है।’
यह योजना अहम बदलाव ला सकती है। उन्होंने कहा, ‘नीतिगत पहल के लिहाज से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को जिस तरह की मदद दी जा रही है, वह सही क्रियान्वयन से जमीनी स्तर पर दिखेगी। हम दूध के सबसे बड़े और खाद्यान्न, फल एवं सब्जियों के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक हैं। हालांकि हमारी कृषि उपज के 10 फीसदी से भी कम हिस्से का खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में इस्तेमाल होता है। इस तरह हमारे पास प्रसंस्कृत खाद्य बाजार में अपार संभावनाएं हैं।’
नेस्ले के लिए इस योजना का इससे बेहतर कोई समय नहीं हो सकता था। कंपनी ने हाल में अपना विस्तार का दूसरा चरण शुरू किया है। कंपनी के बोर्ड ने वर्ष 2024 तक 2,600 करोड़ रुपये के निवेश बजट को मंजूरी दी है। कंपनी का विस्तार का दूसरा चरण करीब एक दशक बाद शुरू हुआ है। इससे पिछला विस्तार 2009 से 2012 के बीच किया गया था। उस समय कंपनी ने 2,300 करोड़ रुपये के निवेश से हिमाचल प्रदेश में आठ विनिर्माण संयंत्र स्थापित किए थे और अपनी क्षमता में इजाफा किया था।
नारायण के मुताबिक पिछले चरण में जिन विनिर्माण इकाइयों की स्थापना की गई थी, उनका भी निर्यात बढ़ाने पर जोर होगा। उन्होंने कहा, ‘इस समय हमारे निर्यात को बढ़ाने का मौका है और हमें वैश्विक बाजारों की मांग का फायदा उठाने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए निर्यात तुलनात्मक रूप से बड़ा कारोबार है। इस समय नेस्ले इंडिया की करीब पांच फीसदी बिक्री आमदनी मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में हमारी सहायक कंपनियों को निर्यात से होती है, जहां प्रवासी भारतीयों की मांग अधिक है।’
