नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने सुनवाई के दौरान एडटेक दिग्गज बैजूस के अमेरिकी लेनदारों से कहा है कि लेनदारों की समिति को हटाने वाली याचिका की सुनवाई के लिए नई अपील करे। एनसीएलटी ने मामले की सुनवाई 11 सितंबर तक टाल दी।
बैजूस के अमेरिकी लेनदारों का प्रतिनिधित्व करने वाली ग्लास ट्रस्ट ने एक पत्र में दावा किया कि अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) ने सीओसी से लेनदारों को गैरकानूनी तौर पर निकाल दिया है। यह जानकारी ग्लास ट्रस्ट के ईमेल से मिली।
जानकार सूत्रों ने बताया कि आईआरपी पंकज श्रीवास्तव ने ग्लास ट्रस्ट को सीओसी से हटा दिया और दावा किया कि वह कंसोर्टियम के न्यूनतम 51 फीसदी लेनदारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता। इस बारे में श्रीवास्तव से संपर्क की कोशिश नाकाम रही।
अयोग्य ठहराए जाने पर अमेरिकी लेनदारों ने एक ईमेल में कहा, अयोग्य ठहराए जाने का मामला किसी भी तरह से थिंक ऐंड लर्न की वित्तीय देनदारी के खिलाफ ग्लास ट्रस्ट के दावे को कहीं से भी कमतर नहीं बताता, जिसे पहले पंकज ने मानते हुए मूल रूप से ग्लास ट्रस्ट को सीओसी में शामिल किया था। इसके उलट पंकज की आखिरी वक्त पर दलील को इस तरह से देखा जाना चाहिए कि वे क्या हैं – स्पष्ट तौर पर धोखाधड़ी के जरिये ग्लास ट्रस्ट और लेनदारों को सीओसी से हटाना।
बैजूस की मूल कंपनी थिंक ऐंड लर्न की तरफ से 1.5 अरब डॉलर कर्ज के लिए दी गई गारंटी के तहत अमेरिकी टर्म लोन लेंडर्स का प्रतिनिधित्व ग्लास ट्रस्ट करता है। जिन लेनदारों का प्रतिनिधित्व ग्लास ट्रस्ट करता था उन्हें अयोग्य ठहराए जाने के बाद अब वह पात्र लेनदारों की सीमा को पूरा नहीं करते, जो बैजूस के खिलाफ उसके दावे को बरकरार रखने के लिए जरूरी है। इसका मतलब यह हुआ कि अमेरिकी टर्म लोन के लेनदार सीओसी की चर्चा में पक्षकार नहीं होंगे।
ग्लास ट्रस्ट के प्रतिनिधित्व वाले ऋणदाताओं के संघ ने बयान में कहा, ‘पंकज श्रीवास्तव की कार्रवाई अभूतपूर्व और पूरी तरह अवैध है क्योंकि भारतीय ऋणशोधन अक्षमता और दिवालियापन संहिता के इतिहास में किसी भी अंतरिम समाधान पेशेवर ने कभी भी इस स्तर के दावों के वित्तीय लेनदारों को अवैध रूप से बेदखल करने का प्रयास नहीं किया है।’
बैजूस के खिलाफ यह दिवाला कार्यवाही पिछले महीने शुरू हुई थी। तब सर्वोच्च न्यायालय ने एनसीएलएटी के उस फैसले को खारिज कर दिया था जिसमें बैजूस के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को रद्द कर दिया गया था। एनसीएलएटी ने बैजूस और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के बीच 159 करोड़ रुपये के समझौते को भी मंजूरी दी थी।