विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई अधिग्रहण कंपनी (SPAC) सेवेन आइलैंड्स इंक ने अमेरिका में आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के जरिए 30 करोड़ डॉलर की रकम जुटाने का फैसला निरस्त कर दिया है। यह कंपनी जेम्स मर्डोक और स्टार इंडिया के पूर्व सीईओ उदय शंकर द्वारा प्रायोजित है।
भारी निवेश करने वाली इस कंपनी का पंजीकरण पिछले वर्ष मई माह में हुआ था, जिसका उद्देश्य मीडिया और मनोरंजन, उपभोक्ता तकनीकी, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़ी दक्षिण-पूर्वी और दक्षिण एशिया की कंपनियों का अधिग्रहण करना था। कंपनी प्रमुख रूप से भारत की कंपनियों के अधिग्रहण को लेकर भी केंद्रित थी।
SPAC का गठन प्रायोजकों द्वारा एक IPO के माध्यम से धन जुटाने के लिए किया जाता है, जिसका उपयोग 24 महीनों के भीतर उस कंपनी का अधिग्रहण या विलय किया जाता है, जिसके लिए रकम जुटाई गई थी। अगर SPAC ऐसा करने में सफल नहीं होती तो निवेशकों को उनकी राशि वापस कर दी जाती है और SPAC को भंग कर दिया जाता है।
सेवेन आइलैंड्स के एक करीबी सूत्र ने यह जानकारी दी कि मर्डोक और शंकर ने यह फैसला किया है कि वे SPAC के जरिए अब कंपनी का अधिग्रहण या विलय नहीं करेंगे क्योंकि, उनका उद्देश्य कंपनियों का अधिग्रहण करना था, न कि IPO को लाकर बाद में बाहर निकल जाना।
उदय शंकर टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे। सूत्रों ने बताया कि कंपनी अब अपना सारा निवेश बोधि ट्री सिस्टम के अंतर्गत करेगी, जिसमें शंकर, जेम्स मर्डोक (लुपा सिस्टम के द्वारा) और कई अन्य लोगों की हिस्सेदारी है। बोधि ट्री सिस्टम्स ने विभिन्न कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदी है। इसने राजस्थान के कोटा में स्थित एलन करियर इंस्टीट्यूट में रणनीतिक हिस्सेदारी के लिए 600 करोड़ डॉलर का निवेश किया है और वायकॉम 18 में 1.78 अरब डॉलर का निवेश किया है, जिसमें पैरामाउंट एक भागीदार के रूप में बना रहेगा।
शंकर और मर्डोक ही दो ऐसे लोग नहीं हैं, जिन्होंने SPAC के जरिए सूचीबद्ध होने का रास्ता चुना हो। बैजूस और ग्रोफर्स सहित कई भारतीय स्टार्टअप ने पिछले साल में ऐसा किया था, लेकिन बाद में उन्होंने रास्ता बदल दिया। हालांकि भारत में भी कुछ प्रायोजित SPAC कंपनियां आगे बढ़ रही हैं। अक्टूबर में, अंतरराष्ट्रीय मीडिया अधिग्रहण समूह (IMAC) ने रिलायंस इंटरनेट स्टूडियोज और रिसी इंटरटेनमेंट का अधिग्रहण करने के लिए एक सौदा किया। आईएमएसी शिबाशीष सरकार (पूर्व में अनिल अंबानी के रिलायंस के साथ) द्वारा प्रायोजित एक SPAC थी।
इस सौदे में 10.2 करोड़ डॉलर नकद और 3.8 करोड़ डॉलर का निवेश किस्तों के माध्यम से हुआ है। IMAC की स्थापना एक IPO के जरिए 20 करोड़ डॉलर जुटाने के लिए की गई थी। सौदे के विवरण की वर्तमान में प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) द्वारा जांच की जा रही है और इस प्रक्रिया में तीन से पांच महीने लग सकते हैं।
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हालांकि, SPAC में आई तेजी अब धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। इसे पहले IPO के लिए तेज, सस्ते और अधिक कुशल तरीके के रूप में देखा जाता था। कई SPAC कंपनियों ने अपने IPO के बाद अपने शेयरों में गिरावट देखी है, एसईसी ने अब उन पर लगाम लगाने के लिए और भी कठिन नियम लागू किए हैं। नवीनतम शेयर पुनर्खरीद पर 1 फीसदी का कर लगेगा, जो सिर्फ परिसमापन की प्रक्रिया को तेज कर रहा है।
SPAC रिसर्च के अनुसार, अमेरिका में दिसंबर माह में अब तक लगभग 65 SPAC का परिसमापन हो चुका है और उनकी रकम को वापस लौटाया जा चुका है। रिसर्च के मुताबिक, नवंबर माह में परिसमापन की संख्या 13 थी। SPAC IPO की संख्या इस महीने घटकर सिर्फ दो रह गई है।