विमानों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल (एमआरओ) सेवा देने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक स्टैंडर्डएरो किसी भारतीय कंपनी के साथ भारत में एमआरओ केंद्र स्थापित करने के लिए संयुक्त उद्यम बनाना चाहती है।
अमेरिकी कंपनी अभी दुनिया के 13 देशों में 55 एमआरओ केंद्र का संचालन कर रही है। साल 2022 में उसका टर्नओवर 4 अरब डॉलर से ज्यादा रहा।
स्टैंडर्डएरो के रीजनल सेल्स डायरेक्टर (एयरलाइंस ऐंड फ्लीट्स) टी. बोहॉसिस ने एक कार्यक्रम एरो एमआरओ 2023 में कहा, कंपनी भारत में एमआरओ केंद्र खोलने का फैसला सैफरन के हैदराबाद में प्रस्तावित केंद्र में इंजन वर्कलोड के आधार पर लेगी।
पिछले साल फ्रांस की इंजन विनिर्माता सैफरन ने ऐलान किया था कि वह हैदराबाद में साल 2025 तक वाणिज्यिक विमान इंजनों के लिए सबसे बड़ा एमआरओ स्थापित करने की प्रक्रिया में है।
सभी अहम भारतीय विमानन कंपनियां सीएफएम के इंजन का इस्तेमाल करती हैं, जो सैफरन और अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक का 50-50 फीसदी हिस्सेदारी वाला संयुक्त उद्यम है।
भारत में संयुक्त उद्यम की कंपनी की योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, यह हमारे दिमाग में है, जो शायद अल्पावधि में नहीं बल्कि मध्यम व लंबी अवधि में होगा। शुरू में हमने मध्यम अवधि के बारे में सोचा था लेकिन हमने पाया कि सैफरन ने हैदराबाद में निवेश किया है।
हैदराबाद केंद्र सीएएफएम के 7बी व लीप इंजन का कामकाज देखेगा। उन्होंने कहा, संयुक्त उद्यम पर फैसला लेने से पहले हमे सुनिश्चित करना होगा कि सैफरन कितने वॉल्यूम को संभाल पाती है और क्या यहां संयुक्त उद्यम का मतलब बनता है और हमें कितना वॉल्यूम मिल सकता है।
भारत विमानों का प्रमुख खरीदार है और एयर इंडिया व इडिगो जैसी देसी कंपनियों ने एयरबस और बोइंग को विमानों के बड़े ऑर्डर दिए हैं।