जेटवर्क के अध्यक्ष (इलेक्ट्रॉनिक्स) जोश फॉल्गर ने कहा है कि मोबाइल फोन के लिए भारत की उत्पादन संबंधित रियायत (पीएलआई) योजना ने मोबाइल उत्पादन वृद्धि को अवरुद्ध कर दिया है क्योंकि बहुत कम कंपनियां इसके लिए योग्य हैं।
फॉल्गर का मानना है कि मोबाइल फोन के संदर्भ में पीएलआई 2 को आईटी हार्डवेयर के लिए नवीनतम पीएलआई पर जोड़ा जाना चाहिए, जिससे कि पहली योजना की विफलता से बचने के लिए रियायतें मूल्य वृद्धि से जुड़ें। इलेक्ट्रॉनिक दिग्गज फॉल्गर फॉक्सकॉन की कंपनी भारत एफआईएच लिमिटेड (नॉन-ऐपल फोन एसेंबल करने के लिए स्थापित) के पूर्व प्रबंध निदेशक हैं।
मोबाइल पीएलआई के लिए पात्र होने के बावजूद, भारत एफआईएच रियायत प्राप्त करने में विफल रहह क्योंकि यह जरूरी मानदंडों को पूरा नहीं कर पाई।
वह वित्त वर्ष 2026 तक 300 अरब डॉलर इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार द्वारा स्थापित कार्य बल के भी सदस्य हैं।
फॉल्गर ने कहा, ‘पीएलआई से भारत में मोबाइल उत्पादन की वृद्धि प्रभावित हुई है और मेरा मानना है कि सरकार इससे अवगत है। यदि आप इस पर वास्तविकता से विचार करें तो पता चलेगा कि कुछ ही कंपनियां (इस उत्तर अमेरिकी कंपनी को छोड़कर) इस योजना के लिए पात्र हैं, जिन्होंने इस दिशा में सही काम किया है। हालांकि मेरा मानना है कि हालात में सुधार आएगा।’
उन्होंने मोबाइल डिवाइस के क्षेत्र में कम स्थानीयकरण पर भी बात की। उन्होंने कहा, ‘उद्योग के तौर पर हमने पिछले 10 साल से सफल बनने की कोशिश की, लेकिन कोई भी कामयाब नहीं हुआ है। चरणबद्ध तरीके से निर्माण कार्यक्रम ही नीतिगत मोर्चे पर ऐसा था जिसे स्थानीय तौर पर शुरू किया गया। मोबाइल फोन पीएलआई इसमें मददगार नहीं थी।’
उन्होंने कहा कि सरकार के लिए समाधान मोबाइल फोन पीएलआई को किसी ऐसी खास योजना में तब्दील करना है जो लक्ष्य के तौर पर मूल्य वृद्धि से जुड़ी हो।
जहां तक प्रतिस्पर्धी वियतनाम का सवाल है, फॉल्गर का मानना है कि उसके इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में तेजी अल्पकालिक है। उन्होंने कहा, ‘वियतनाम एक छोटा देश है। यह बाजार नहीं है बल्कि एक निर्माण स्रोत है और तकनीशियन जैसे लोगों की कमी से जूझ रहा है। आप मुख्य तौर पर जापानी, कोरियाई और ताइवानियों को परिचालन करते देख रहे हैं। भारत एक संपूर्ण नियोक्ता है। हमारे पास पर्याप्त
प्रतिभाएं हैं।’
उनका मानना है कि वियतनाम के लिए एकमात्र फायदेमंद स्थिति चीन से उसकी नजदीकी है, क्योंकि उससे उसकी सीमा सटी हुई है। यह सीमा 1979 युद्ध के बाद व्यापार के लिए खोल दी गई। उन्होंने कहा, ‘लेकिन यह लाभ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए अस्थायी है।’ जेटवर्क एक ऐसा ईएमएस स्टार्टअप है जो क्षमता निर्माण पर निकट भविष्य में करीब 1,000 करोड़ रुपये निवेश करेगा।