कंपनी मामलों का मंत्रालय (एमसीए) कंपनियों से जुड़े सभी अनुपालन फॉर्मों के निपटान के लिए सेंट्रल प्रॉसेसिंग सेंटर (सीपीसी) शुरू करेगा। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि क्षेत्रीय निदेशकों के कार्यालय और कंपनी रजिस्ट्रार कार्यालय का बोझ कम करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है, जिससे उन्हें प्रवर्तन संबंधी मामलों के लिए पर्याप्त वक्त मिल सके।
गैर एसटीपी फॉर्मों या गैर स्ट्रेट फाइलिंग के विशेष क्षेत्र की फाइलिंग पर ध्यान देने के लिए सीपीसी के साथ मिलकर मंत्रालय चौथा केंद्र शुरू करेगा। एसटीपी फॉर्मों को कंपनी रजिस्ट्रार द्वारा बगैर किसी जांच के सीधे रिकॉर्ड में ले लिया जाता है। इसमें शेयर पूंजी और डिबेंचर में बढ़ोतरी, उसे भुनाने या रद्दीकरण, जमा की वापसी, शुल्क का पंजीकरण, निदेशकों की नियुक्ति से जुड़े फॉर्म शामिल होंगे। सालाना आम बैठकें करने की अवधि में बढ़ोतरी, प्रतिभूतियों की पुनर्खरीद के लिए पेशकश पत्र, सीएसआर गतिविधियों के लिए इकाइयों के पंजीकरण से जुड़े फॉर्मों का निपटान भी सीपीसी करेगा।
उद्योग उम्मीद कर रहा है कि कंपनी मामलों का मंत्रालय अपने सीपीसी में फॉर्मों के निपटान के लिए जरूरी मानक निपटान प्रक्रिया की व्यवस्था करेगा।
कॉर्पोरेट प्रोफेशनल्स के पार्टनर अंकित सिंघी ने कहा, ‘सीपीसी के तहत फॉर्मों की प्रॉसेसिंग का केंद्रीकरण करना एक महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव है। बहरहाल मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि इसमें कंपनियों, पेशेवरों और अन्य हिस्सेदारों के बीच दोतरफा खुली संवाद की व्यवस्था हो, जिससे अनावश्यक कठिनाइयों को रोका जा सके, जैसा सीआरसी में होता है।’