भू-राजनीतिक हालात तथा भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच मर्सिडीज बेंज इंडिया साल 2025 को तुलनात्मक रूप से ‘मुश्किल वर्ष’ मान रही है, लेकिन लक्जरी कारों की मांग के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती पर दांव लगा रही है। जर्मनी की यह लक्जरी कार विनिर्माता भारत के सालाना 50,000 लक्जरी कार बाजार में अगुआ है। कंपनी ने विदेशी विनिमय की दरों में वृद्धि के कारण कीमतें दो बार में (जून और सितंबर) में 90,000 रुपये (सी-क्लास के लिए) से लेकर 12.2 लाख रुपये (मर्सिडीज-मेबैक एस 680 के लिए) तक की वृद्धि का ऐलान किया है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार इस साल रुपये में यूरो के मुकाबले 7.19 प्रतिशत की गिरावट आई है।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए मर्सिडीज बेंज इंडिया के प्रबंध निदेशक संतोष अय्यर ने कहा, ‘हालांकि पिछले चार महीने में विनिमय दर में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। लेकिन हम बाजार पर केवल तीन प्रतिशत का ही बोझ डाल रहे हैं – अभी 1.5 प्रतिशत और सितंबर में 1.5 प्रतिशत। हम मांग पर असर से बचने के लिए इसे दो चरणों में कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि चूंकि ब्याज दरें थोड़ी कम हो गई हैं। इसलिए उनकी वित्तीय सेवा शाखा जनवरी की तुलना में 0.5 प्रतिशत कम दर पर वित्त की सुविधा उपलब्ध कराने में सक्षम है। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि ग्राहकों की ईएमआई पर बहुत अधिक प्रभाव न पड़े। अय्यर ने स्वीकार किया कि भू-राजनीतिक अनिश्चितता और कीमतों में वृद्धि होने पर मनोबल पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘पूंजी बाजार मनोबल के मामले में अच्छा पैमाना होता है और वे अपेक्षाकृत स्थिर है। साल 2025 कठिन वर्ष होगा, लेकिन मूल बात यह कि अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और हमें उम्मीद है कि लक्जरी की मांग भी बढ़ती रहेगी।’ उन्होंने कहा, ‘जब बाजार में नरमी होती है, तो आम तौर पर कीमतों को लेकर होड़ मचती है। हम बाजार में सस्ते मॉडल उतारने या बाजार पेशकशों से दूर रहे हैं। हमें ब्रांड की रक्षा की जरूरत है।’