अदाणी समूह की कंपनियों में निवेश को लेकर आलोचना का सामना कर रही भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) अपने जोखिम को कम करने के लिए कंपनियों में अपने ऋण तथा इक्विटी निवेश पर सीमा लगाने की योजना बना रही है। मामले से वाकिफ दो सूत्रों ने इसकी जानकारी दी।
अमेरिका की शार्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद अदाणी समूह के मूल्यांकन में 100 अरब डॉलर से ज्यादा की गिरावट आई है और एलआईसी ने समूह की कंपनियों में 4 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। ऐसे में अदाणी समूह में बड़ा निवेश करने को लेकर एलआईसी की आलोचना की जा रही है।
घटनाक्रम के जानकार एक सूत्र ने कहा कि करीब 539 अरब डॉलर मूल्य की संपत्तियों का प्रबंधन करने वाली देश की सबसे बड़ी घरेलू संस्थागत निवेशक एलआईसी किसी एक कंपनी, समूह की कंपनियों और समान प्रवर्तकों वाली कंपनियों में ऋण तथा इक्विटी निवेश पर सीमा लगाने की योजना बना रही है।
सूत्र ने कहा, ‘एलआईसी अपने निवेश पर सीमा तय करने की संभावना तलाश रही है जिससे शेयरों में उसका निवेश सीमित हो सकता है।’
सूत्रों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि फिलहाल इस पर चर्चा चल रही है और एलआईसी के बोर्ड से इसकी अभी मंजूरी नहीं मिली है। इस बारे में जानकारी के लिए एलआईसी और वित्त मंत्रालय को ईमेल किया गया लेकिन खबर लिखे जाने तक उनका जवाब नहीं आया।
एलआईसी के बोर्ड से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद एलआईसी के निवेश पर सीमा लगाई जा सकती है। वर्तमान में एलआईसी किसी एक कंपनी में 10 फीसदी हिस्सेदारी से ज्यादा या 10 फीसदी ऋण से ज्यादा का निवेश नहीं कर सकती है।
भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के अनुसार बीमा कंपनियां अपने निवेश कोष को एक कंपनी या प्रवर्तक समूह की कंपनियों के इक्विटी और डेट में 15 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं कर सकती हैं।
एक अन्य सूत्र ने कहा कि यह कदम निवेश रणनीति को सुदृढ़ बनाने और एलआईसी के निवेश निर्णय को लेकर सार्वजनिक आलोचना से बचने के मकसद से उठाया जा रहा है। हालांकि निवेश की सीमा कितनी होगी इस पर कंपनी की निवेश समिति निर्णय करेगी।
सूत्र ने कहा कि एलआईसी का अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में 30,120 करोड़ रुपये और ऋण में 6,182 करोड़ रुपये का निवेश है।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर बहरोज कामदीन ने कहा, ‘बीमा नियामक द्वारा बीमा फर्म की ओर से किसी कंपनी में निवेश जो सीमा तय की गई है उसके अनुसार एलआईसी बड़ा निवेश कर सकती है क्योंकि इसके पास निवेश योग्य कोष का आकार काफी बड़ा है।’
उन्होंने कहा कि बाजार में उठापटक के कारण किसी खास कंपनी में बड़ा निवेश करने से पॉलिसीधारकों के निवेश पर भी असर पड़ सकता है।