काइनेटिक ग्रीन ने इटली की टोनिनो लेम्बोर्गिनी के साथ नया संयुक्त उद्यम शुरू किया है। इस उद्यम ने वैश्विक बाजार के लिए इलेक्ट्रिक गोल्फ कार्ट और लाइफस्टाइल कार्ट का निर्माण शुरू कर दिया है। काइनेटिक ग्रीन की संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी ने आज बताया कि प्रति वर्ष 3,600 कार्ट की शुरुआती क्षमता के साथ कंपनी अगले दशक में 5 अरब डॉलर के वैश्विक बाजार का 10 प्रतिशत हिस्सा हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
यह संयुक्त उद्यम – काइनेटिक ग्रीन टोनिनो लेम्बोर्गिनी प्राइवेट लिमिटेड 70:30 की साझेदारी में है। इसमें काइनेटिक ग्रीन की बहुलांश हिस्सेदारी है। जहां लेम्बोर्गिनी अपने प्रतिष्ठित ब्रांड, डिजाइन की विशेषज्ञता और बौद्धिक संपदा प्रदान करेगी, वहीं इंजीनियरिंग, विनिर्माण और वित्तीय निवेश काइनेटिक ग्रीन की ओर से किया जाएगा। बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि इस संयुक्त उद्यम ने भारत में पहले ही डिलिवरी शुरू कर दी है और कुछ गाड़ियों का निर्यात संयुक्त अरब अमीरात को भी किया है।
मोटवानी ने कहा कि कंपनी अब तक करीब 30 लाख डॉलर का निवेश कर चुकी है। आने वाले वर्ष में 20 लाख डॉलर का और निवेश करेगी। बैंकिंग सेवाओं के जरिये 50 लाख डॉलर और एक करोड़ डॉलर उन भारतीय परिवार कार्यालयों से जुटाए जाएंगे जो फिरोदिया और लेम्बोर्गिनी परिवारों के बीच तीसरी पीढ़ी के इस गठजोड़ में संभावनाएं देखते हैं। उन्होंने बताया कि तीन वर्षों में कुल नियोजित निवेश दो करोड़ डॉलर का है।
इस उद्यम के लिए विशेष रूप से स्थापित की गई पुणे की इकाई में फिलहाल सालाना 3,600 गाड़िया बनाने की क्षमता है। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है ताकि आसानी से इसका स्तर बढ़ाया जा सके। यह संयुक्त उद्यम साल 2030 तक सालाना 25,000 गाड़िया बेचने की योजना बना रहा है जिससे 30 करोड़ डॉलर का वार्षिक राजस्व मिलेगा। उन्होंने बताया कि संयुक्त उद्यम ने 10 वर्षों के भीतर 1 अरब डॉलर के कारोबार का दीर्घकालिक लक्ष्य तय किया है।
फिलहाल वैश्विक गोल्फ कार्ट बाजार 5 अरब डॉलर का है जिसकी दुनिया भर में सालाना बिक्री करीब 5,00,000 गाड़ियों की है। अनुमान है कि अगले 5 से 6 साल में यह 8 से 10 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक दर से बढ़ेगा। मोटवानी के अनुसार इस मांग में 80 से 90 प्रतिशत हिस्सेदारी 25 से 30 प्रमुख वैश्विक बाजारों की है। मोटवानी ने कहा कि वैश्विक बाजार में क्लब कार, ई-जेड-गो और यामाहा जैसी कंपनियों का दबदबा है। वैश्विक बाजार का लगभग 45 प्रतिशत हिस्सा अब भी बिखरा हुआ है।