सज्जन जिंदल की अगुआई वाली जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने आज कहा कि उसकी सहायक इकाई जेएसडब्ल्यू नियो एनर्जी ने मित्रा एनर्जी की 1.75 गीगावाट क्षमता की अक्षय ऊर्जा संपत्तियां खरीदने पर रजामंदी जताई है। यह सौदा 10,530 करोड़ रुपये में होगा।
देश में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के शीर्ष 10 बड़े अधिग्रहणों में से यह तीसरा सबसे बड़ा सौदा होगा। इस अधिग्रहण के साथ ही जेएसडब्ल्यू एनर्जी की परिचालित उत्पादन क्षमता 4.78 गीगावाट से 35 फीसदी बढ़कर 6.53 गीगावाट हो जाएगी। कंपनी ने कहा कि सौदा भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग की मंजूरी पर निर्भर करेगा।
इस क्षेत्र में सबसे बड़ा सौदा 2021 में हुआ था, जब अदाणी ग्रीन ने सॉफ्टबैंक और भारती एंटरप्राइजेज के स्वामित्व वाली एबी एनर्जी इंडिया का अधिग्रहण करीब 25,566 करोड़ रुपये में किया था। दूसरा बड़ा सौदा 2018 में हुआ था, जब रीन्यू पावर ने 10,800 करोड़ रुपये में ऑस्ट्रो एनर्जी को खरीदा था।
बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में पिछले हफ्ते जेएसडब्ल्यू एनर्जी के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी प्रशांत जैन ने कहा था कि कंपनी अपना कारोबार बढ़ाने के लिए अधिग्रहण की संभावना तलाश रही है। उन्होंने कहा था, ‘अधिग्रहण के जरिये वृद्धि हमारी समग्र रणनीति का अहम हिस्सा है। इससे हमें तेजी से बढ़ने में मदद मिलेगी। जब भी हमें अपने शेयरधारकों के लिए आकर्षक मूल्य दिखेगा, हम देखेंगे कि अधिग्रहण सही है या नहीं।’ जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने मई में मित्रा एनर्जी के साथ उसकी संपत्तियों को खरीदने के लिए करार किया था। कंपनी ने कहा कि वह विशेष उद्देश्य वाली कंपनी के तौर पर 10 पवन ऊर्जा संपत्तियों और सात सौर ऊर्जा संपत्तियों का अधिग्रहण करेगी। पवन ऊर्जा संपत्तियों की उत्पादन क्षमता 1.33 गीगावाट है और सौर ऊर्जा संपत्तियों की उत्पादन क्षमता 0.42 गीगावाट है। ये संयंत्र दक्षिण, पश्चिम और मध्य भारत में स्थापित हैं।
कंपनी की लेनदेन सलाहकार केपीएमजी इंडिया सर्विसेज और कानूनी सलाहकार खेतान ऐंड कंपनी है। प्राइसवाटरहाउसकूपर्स सर्विसेज ने वित्तीय पहलुओं और कर की जांच-परख की है। जैन ने कहा कि मित्रा एनर्जी के अधिग्रहण से कंपनी को 2025 से पहले ही 10 गीगावाट क्षमता का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। कंपनी के पास फिलहाल 2.5 गीगावाट क्षमता निर्माणाधीन है, जो अगले 18 से 24 महीने में चालू हो जाएगी। मित्रा के अधिग्रहण और नई क्षमताएं जोड़ने से अगले दो साल में कंपनी की कुल उत्पादन क्षमता 9.1 गीगावाट हो जाएगी और इसमें अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी करीब 65 फीसदी होगी। फिलहाल कुल स्थापित क्षमता में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी 30 फीसदी है। प्रतिस्पर्द्धी अदाणी समूह, टाटा पावर और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी अगले कुछ वर्षों में अपने ऊर्जा पोर्टफोलियो में हरित ऊर्जा की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि का वादा किया है। टाटा पावर ने हाल ही में कहा था कि वह अपने अक्षय ऊर्जा कारोबार के विस्तार पर अगले पांच साल में 75,000 करोड़ रुपये निवेश करेगी। रिलायंस ने पिछले साल अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में तीन साल के दौरान 75,000 करोड़ रुपये निवेश करने की घोषणा की थी। अदाणी एंटरप्राइजेज ने अगले 10 साल में इस क्षेत्र में 1.48 लाख करोड़ रुपये निवेश की बात कही है।