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जेपी असोसिएट्स अधिग्रहण पर संकट, बोली खारिज होने के बाद कानूनी लड़ाई की तैयारी

जेपी इन्फ्राटेक ने ईएमडी विवाद में बोली खारिज होने पर जेपी असोसिएट्स अधिग्रहण मामले में कोर्ट जाने की तैयारी की है, जिससे दिवालिया प्रक्रिया में देरी संभव है।

Last Updated- August 03, 2025 | 3:39 PM IST
Jaypee Group
Representative Image

दिल्ली स्थित रियल एस्टेट कंपनी जयप्रकाश इन्फ्राटेक लिमिटेड (Jaiprakash Infratech Ltd) ने जयप्रकाश असोसिएट्स लिमिटेड (Jaiprakash Associates Ltd) को अधिग्रहित करने के लिए दी गई अपनी बोली खारिज किए जाने को अदालत में चुनौती देने की तैयारी शुरू कर दी है। इस कदम से कर्ज में डूबी इंफ्रास्ट्रक्चर और सीमेंट कंपनी की दिवालिया प्रक्रिया में देरी हो सकती है।

जानकारी के मुताबिक, लेनदारों ने जेपी इन्फ्राटेक का प्रस्ताव इसलिए अस्वीकार कर दिया क्योंकि कंपनी ने 100 करोड़ रुपये की अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट (EMD) नकद जमा करने के बजाय फिक्स्ड डिपॉजिट पर लियन देने का प्रस्ताव रखा था। इसे निर्धारित प्रारूप के अनुरूप न मानते हुए और समय पर दस्तावेज न देने के कारण बोली को खारिज कर दिया गया।

कंपनी से जुड़े एक सूत्र ने दावा किया, “फिक्स्ड डिपॉजिट पर लियन कानूनी रूप से मान्य था और समय पर जमा भी किया गया था। अब हमारे पास कोर्ट जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।”

गौरतलब है कि जेपी इन्फ्राटेक का अधिग्रहण जून 2024 में मुंबई स्थित सुरक्षा ग्रुप ने किया था और फिलहाल कंपनी का फोकस अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने पर है, जिनका इंतजार खरीदार एक दशक से कर रहे हैं।

जेपी असोसिएट्स पर 57,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और मार्च 2024 में भारतीय लेनदारों ने इसका कर्ज नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (NARCL) को ट्रांसफर कर दिया था।

अब दिवालिया समाधान प्रक्रिया में देरी की आशंका है, जबकि गौतम अडानी का समूह बिना किसी शर्त के पेशकश देने वाला सबसे मजबूत दावेदार बनकर उभरा है। अन्य दावेदारों में डालमिया भारत, वेदांता ग्रुप, जिंदल पावर और पीएनसी इन्फ्राटेक शामिल हैं, लेकिन इनके प्रस्ताव में कई शर्तें जुड़ी हुई हैं।

लेनदारों ने सभी बोलीदाताओं से बिना शर्त के संशोधित प्रस्ताव मांगे हैं। इन शर्तों में से कई ग्रेटर नोएडा स्थित जेपी असोसिएट्स के 1,000 हेक्टेयर के स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट के भविष्य से जुड़ी हैं। मार्च में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा इस प्रोजेक्ट की जमीन आवंटन रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

First Published - August 3, 2025 | 3:39 PM IST

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