अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए परमिट हासिल करने में टाटा समूह की सस्ती विमानन सेवा एयरएशिया इंडिया की अक्षमता से सरकार की अंतरराष्ट्रीय उड़ान परियोजना को झटका लगा है। इस योजना का उद्देश्य राज्य सरकारों द्वारा विमानन कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी के जरिये पूर्वोत्तर राज्यों और ओडिशा के शहरों को अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों के साथ जोड़ना है।
सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय अब इस विमानन कंपनी में टाटा संस के 100 फीसदी स्वामित्व होने और एयर इंडिया समूह का हिस्सा बनने का इंतजार कर रही है। उसके बाद ही उसे अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के संचालन की अनुमति दी जाएगी। समझा जाता है कि स्वामित्व में बदलाव की प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाएगी और उसके बाद सरकार विमानन कंपनी को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के संचालन के लिए परमिट जारी करेगी।
सूत्रों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय उड़ान योजना के बोली प्रक्रिया का आयोजन भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा किया गया था। बोली नियमों के अनुसार यदि कोई विमानन सेवा कंपनी भारत की नामित विमानन कंपनी के तौर पर पात्र है तो वह विभिन्न मार्गों के लिए बोली लगाने के लिए पात्र होगी।
अंतरराष्ट्रीय मार्गों के लिए बोली प्रक्रिया का आयोजन मार्च में किया गया था। इसमें एयरएशिया इंडिया ने आठ अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर उड़ानों के संचालन करने के लिए जीत हासिल की थी। इन मार्गों में भुवनेश्वर से सभी गंतव्यों के लिए उड़ान शामिल थी क्योंकि उसने इन मार्गों पर तैनात सीटों के लिए सबसे कम सब्सिडी की मांग की थी।
हालांकि यह विमानन कंपनी इस शर्त के साथ अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर उड़ान भरने के लिए पात्र है कि उसके बेड़े में 20 विमान होना आवश्यक है। लेकिन उसे सरकार से उड़ान परमिट नहीं मिल पाई है क्योंकि सीबीआई ने एयरएशिया बरहद के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था जिनकी विमानन कंपनी में फिलहाल 14 फीसदी हिस्सेदारी है। विदेशी उड़ान परमिट के लिए सरकार की लॉबिइंग करने और विदेशी विमानन कंपनियों को भारतीय ऑपरेटरों द्वारा नियंत्रित किए जाने वाले नियमों का उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
एजेंसी ने 2018 में टाटा संस और एयरएशिया बरहद के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसमें एयरएशिया बरहद के सीईओ टोनी फर्नांडीस, डिप्टी सीईओ बो लिंगम और टाटा ट्रस्ट्स के पूर्व मैनेजिंग ट्रस्टी आर वेंकटरमण शामिल हैं। उन पर आरोप है कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए परिचालन नियमों को आसान बनाने के लिए उन्होंने सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की कोशिश की थी।
एयरएशिया इंडिया ने इस बाबत पूछे जाने पर कोई जवाब नहीं दिया।
