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संपत्ति प्रबंधन को अब मिला आईटी का सहारा

Last Updated- December 05, 2022 | 4:52 PM IST

भारत और दुनिया के अन्य मुल्कों में हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआई) की तादाद में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।


इसके मद्देनजर पोर्टफोलियो प्रबंधक अपनी कंपनियों के प्रबंधन के लिए आईटी कंपनियों की तरफ रुख कर रहे हैं।पिछले कुछ वर्षों में भारत और पूरी दुनिया में हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआई) की तादाद में भारी इजाफा हुआ है। उद्योग जगत केआंकड़ों के मुताबिक, 2006 में एचएनआई की तादाद में 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इस बढ़ोतरी केमद्देनजर दुनियाभर में एचएनआई की तादाद 1 करोड़ तक पहुंच गई है।


एचएनआई की कुल संपत्ति 37 लाख करोड़ डॉलर आंकी गई है। एचएनआई से आशय वैसे लोगों का है, जिनकी कुल संपत्ति 10 लाख डॉलर से ज्यादा है। 2006 में भारत में एचएनआई का आंकड़ा 1 लाख को पार कर गया। एचएनआई सेगमेंट में हो रही बढ़ोतरी के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। इस मामले में पहले नंबर पर सिंगापुर है, जहां एचएनआई सेगमेंट में 21 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। ये आकंड़े केपजैमिनी और मेरिल लिंच ने जारी किए हैं।


एचएनआई सेक्टर में हो रही बढ़ोतरी की वजह से संपत्ति का प्रबंधन करने वाली कंपनियों में प्रतिस्पर्धा काफी तेज हो गई है। इस सेगमेंट के उपभोक्ता को अपने पास रखने के लिए सरकारी और सहकारी बैंकों में होड़ मची है। इसके मद्देनजर तकनीकी सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियों की मांग भी बाजार में बढ़ने के आसार है।


गौरतलब है कि संपत्ति की देखरेख करने वाले मैनेजरों का दो-तिहाई वक्त इससे जुड़े प्रशासनिक कार्यों को निपटाने में खर्च हो जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसे मैनेजर का ज्यादातर वक्त उनके मुख्य काम से इतर गतिवधियों में ही गुजर जाता है। आईटी सेक्टर की प्रमुख कंपनियां टाटा कंस्लटेंसी सर्विसेज (टीसीएस), विप्रो, इन्फोसिस और इन्फ्रासॉफ्ट जैसी कंपनियां संपत्ति प्रबंधन (वेल्थ मैनेजमेंट) में काम की संभावनाओं के मद्देनजर खुद को तैयार करने में जुट गई हैं।


इन्फ्रासॉफ्ट टेक्नोलोजीज के प्रबंध निदेशक हनुमान त्रिपाठी कहते हैं कि कोई भी शख्स जो अपनी कमाई का 30 फीसदी हिस्सा बचत करता हो, भारत में उसे संपत्ति प्रबंधन कंपनियों का उपभोक्ता माना जाता है। भारत में प्रबंधन कंपनियों के उपभोक्ताओं की तादाद तेजी से बढ़ रही है और इस बाबत आईटी सेक्टर के ग्राहकों (बैंक) की तादाद भी बढ़ेगी।


टीसीएस फाइनेंशल सल्यूशंस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) कृष्णन रामानुजम कहते हैं कि उनकी कंपनी अगले 3-4 साल में फाइनेंशल सेक्टर संबंधी आईटी सल्यूशन के जिन क्षेत्रों पर फोकस करेगी, उसमें संपत्ति प्रबंधन का क्षेत्र भी शामिल है। वह कहते हैं कि इसका बाजार अभी शुरुआती दौर में है और हमें उम्मीद है कि संपत्ति प्रबंधन क्षेत्र संबंधी आईटी कंपनियों के काम में 30 से 40 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।


पूरी दुनिया में एचएनआई 6.5 फीसदी की दर से सालाना बढ़ रहे हैं, जबकि भारत में इनकी बढ़ोतरी की दर 19.6 फीसदी है। एक अनुमान के मुताबिक, संपत्ति प्रबंधको के लिए तकरीबन 290 अरब डॉलर की संपत्ति उपलब्ध है।इन्फोसिस भी इस दौड़ में पीछे नहीं छूटना चाहती। पिछले साल दिसंबर में कंपनी पहले से हांगकांग और सिंगापुर बैंक के 2 पाइलट प्रोजेक्टों पर काम कर रही है। साथ ही कंपनी चीन के प्रोजेक्ट के लिए भी समझौता करने वाली है।


आई-फ्लेक्स सोल्यूशंस की प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट इकाई के उपाध्यक्ष विक्रम गुप्ता कहते हैं कि संपत्ति प्रबंधन के लिए बैंकों द्वारा ग्राहक बनाने के बाद अब उन्हें ग्राहकों को बरकरार रखने के लिए नए उपाय ढूंढने होंगे। दरअसल अभी इस क्षेत्र में आईटी सेवा एवं समाधान मुहैया कराने वाली खास कंपनी नहीं के बराबर है। गुप्ता ने बताया कि उनकी कंपनी की बातचीत कई बैंकों से चल रही है और समझौते के बारे में जल्द ही ऐलान किया जाएगा।


पिछले कुछ महीने में इन्फ्रासॉफ्ट ने भी इस बाबत अपनी रणनीति में बदलाव किया है। कंपनी अब तक सिर्फ यूरोपीय बाजारों पर तवज्जो दे रही थी। त्रिपाठी ने बताया कि अब कंपनी संपत्ति प्रबंधन से जुड़े आईटी सल्यूशन को भारतीय बाजारों के परिप्रेक्ष्य में तैयार करने में जुटी हैं। इसे लागू किए जाने के पहले साल में ही इस सेगमेंट से कंपनी को 15 से 20 करोड़ रुपये के बीच राजवस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। साथ ही कंपनी को अगले साल इस सेक्टर में 100 फीसदी की बढ़ोतरी होने की आशा है।


संपत्ति प्रबंधन कंपनियों के बीच आउससोर्सिंग का फंडा भी काफी लोकप्रिय हो रहा है। इस बाबत जानीमानी सॉफ्टवेयर कंपनी विप्रो ने एफएसओ नॉलेज एक्सचेंज के साथ मिलकर सर्वे किया था। सर्वे के मुताबिक, संपत्ति का प्रबंधन करने वाली वैसी कंपनियां, जिनके पास 1 अरब या इससे अधिक की संपत्ति का प्रबंधन है या फिर उनके कर्मचारियों की तादाद 10 हजार से ज्यादा है, ऐसी 89 फीसदी कंपनियां अपने काम के लिए आउटसोर्सिंग का सहारा लेती हैं।


इन कंपनियों की आउटसोर्सिंग गतिविधियों में पोर्टफोलियो परफॉरमेंस का आकलन, रिपोर्टिंग, पोर्टफोलियो प्रबंधन आदि शामिल हैं। विप्रो के मोहित शेनॉय कहते हैं कि कंपनी दुनिया की 10 संपत्ति प्रबंधन कंपनियों के साथ काम कर चुकी है। जब कंपनी ने यह काम शुरू किया था, उस वक्त आउटसोर्सिंग महज म्युचुअल फंड प्रोसेसिंग का एक हिस्सा था। हालांकि इसके बाद इस सेक्टर में आउटसोर्सिंग के काम करने के तौर-तरीकों में भारी बदलाव देखने को मिला है।


शेनॉय कहते हैं कि पहले ज्यादातर काम टेक्नोलॉजी से जुड़ा हुआ होता था, लेकिन अब ऑपरेशन संबंधी कार्यों की भी आउटसोर्सिंग का प्रचलन शुरू हो गया है। दूसरा बदलाव यह हुआ है कि इनवेस्टमेंट हाउसों की संपत्तियों का दायरा काफी बढ़ गया है। अब ये कंपनियां संपन्न तबकों से आगे बढ़कर सुपर रिच कैटिगरी (बहुत ज्यादा पैसे वाले) की तरफ बढ़ रही हैं। इसमें वैसे लोग शामिल हैं, जिनकी संपत्ति 5 लाख डॉलर (तकरीबन 2 करोड़ रुपये) या इससे ज्यादा हो।

First Published - March 21, 2008 | 11:37 PM IST

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