वित्तीय नुकसान और लत के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग और जुआ प्लेटफॉर्मों को प्रभावी तरीके से विनियमन के दायरे में लाने के लिए एक सख्त कानून का मसौदा तैयार करने को इच्छुक है। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को संसद में कहा कि राज्यों के साथ सहमति के बाद ऐसा किया जा सकता है।
मंत्री ने कहा कि जुएबाजी और दांव लगाने को नियमन के दायरे में लाना जटिल मसला है और आईटी (इंटरमीडिएटरी गाइडलाइंस ऐंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) नियमों के तहत हाल में जारी मसौदा इस दिशा में उठा पहला कदम है। लोकसभा में इस सिलसिले में सांसदों द्वारा उठाई चिंता को लेकर वैष्णव ने जवाब देते हुए यह कहा।
वैष्णव ने कहा, ‘हमारा एक केंद्रीय कानून होना चाहिए और नियम बहुत सख्त होना चाहिए, क्योंकि ऑनलाइन गेम की लत का समाज पर असर पड़ रहा है और खासकर ऑनलाइन जुएबाजी का असर पड़ रहा है।’
संविधान की सातवीं अनुसूची के मुताबिक सट्टेबाजी और जुएबाजी का नियमन राज्य सरकार की सूची में आता है। इस मसले पर अब तक 19 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों ने अलग कानून पारित किया है। वहीं दूसरी तरफ 17 राज्यों ने पब्लिक गैंबलिंग ऐक्ट, 1867 में बदलाव किया है, जो कौशल के खेल और अवसर के खेल के बीच अंतर करने का ब्रिटिश काल का कानून है।
वैष्णव ने कहा, ‘दुर्भाग्य से डिजिटल दुनिया में राज्यों की सीमा का कोई मतलब नहीं है। यह जटिल मसला है। कौशल के खेल और अवसर के खेल को लेकर किसी खास गेम की व्याख्या करते हुए अलग अलग अदालतों ने अलग फैसले दिए हैं। इस समय पूरी दुनिया में इसे लेकर संशय है कि नियमन का सही तरीका क्या है। ऐसी स्थिति में सरकार ने इस दिशा में पहला कदम बढ़ाया है और ऑनलाइन ऐप और वेबसाइटों को मध्यस्थ माना है और उन्हें नियमन के पहले चरण में उन्हें शामिल किया गया है।’
लोकसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने ऑनलाइन जुए, सट्टेबाजी और गेमिंग से समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर चिंता जताई। सदन में प्रश्नकाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद राजेंद्र अग्रवाल, द्रमुक सांसद टी सुमति और कांग्रेस सदस्य के मुरलीधरन ने ऑनलाइन गेमिंग और जुए जैसी गतिविधियों की लत में आने के बाद लोगों के बर्बाद हो जाने और कुछ मामलों में नौजवानों द्वारा कथित रूप से आत्महत्या किये जाने का मुद्दा उठाया।
वैष्णव ने कहा कि इस विषय की जटिलता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक अंतर-मंत्रालयी कार्यबल बनाया गया था जिसने सभी हितधारकों से चर्चा की और तय हुआ कि इस मामले में केंद्र स्तर पर भी विनियमन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस तरह के ऐप मध्यवर्ती (इंटरमीडियेटरी) के दायरे में आते हैं और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में मध्यवर्ती नियमों के तहत सरकार ने पहल की है और वह इस दिशा में सजग है। वैष्णव ने कहा, ‘इस तरह की गतिविधियों के विनियमन के लिए सभी दलों को सहमति बनानी होगी। मेरा मानना है कि इसके लिए एक केंद्रीय कानून लाया जा सकता है।’
इससे पहले भाजपा सांसद अग्रवाल ने कुछ ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप का जिक्र करते हुए कहा था कि इनका प्रचार क्रिकेट समेत विभिन्न क्षेत्रों की शख्सियत करती हैं जिससे युवा प्रभावित होते हैं और फंसकर अपना धन लुटा देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राज्यों में ये गतिविधियां अवैध नहीं होतीं और इन्हें सरकार से मान्यता प्राप्त होती है।