वैश्विक उद्यमों में कर्मचारियों द्वारा घर से काम किए जाने की वजह से बड़े पैमाने पर साइबर हमलों की आशंका बढ़ गई है। इसे ध्यान में रखते हुए वैश्विक रूप से तकनीकी सुरक्षा सेवा मुहैया कराने वाली भारतीय आईटी कंपनियां अपनी क्षमता बढ़ाने पर जोर दे रही हैं।
पिछले कुछ महीनों में, प्रमुख भारतीय आईटी सेवा प्रदाताओं टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल टेक्नोलॉजीज ने अमेरिका तथा यूरोप में अपने साइबर खतरा प्रबंधन केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है। विश्लेषकों का कहना है कि इसका मकसद डेटा और साइबर संबंधित नियमों का पालन करते हुए ग्राहकों से नजदीक बनाए रखना और उनके व्यवसायों को सुरक्षित तथा साइबर हमलों के लिहाज से प्रतिरोधी बनाना है।
पिछले सप्ताह, टीसीएएस ने दुनियाभर में 10 नए थ्रेट मैनेजमेंट सेंटर खोलने की घोषण की, जो उसके उद्यम ग्राहकों को साइबर सुरक्षा सेवाएं मुहैया कराने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। ये केंद्र मैनचेस्टर (ब्रिटेन), ब्लूमिंगटन (अमेरिका) और स्पेन में स्थित हैं और आईटी, ऑपरेशनल टेक्नोलॉजी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और क्लाउड इकोसिस्टम के लिए खतरा प्रबंधन सेवाएं मुहैया कराएंगे।
एचसीएल टेक्नोलॉजीज ने पिछले महीने यूरोप में अपना पहला साइबर सिक्युरिटी फ्यूजन सेंटर (सीएसएफसी) खोला। स्वीडन में स्थित केंद्र संपूर्ण रूप से आईटी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), इंडस्ट्रियल इंटरनेट ऑफ थिंग्स और फैक्टरी ऑपरेशनल टेक्नोलॉजी एनवायरनमेंट की निगरानी करेगा। एचसीएल टेक्नोलॉजीज में कॉरपोरेट उपाध्यक्ष (साइबर सुरक्षा सेवा) मनिंदर सिंह ने कहा, ‘साइबर सुरक्षा एचसीएल के लिए मुख्य एरिया है, क्योंकि इसने संगठनों को दुनियाभर में तेजी से विकसित होने में सक्षम बनाने के लिए अहम योगदान दिया है।’
एचसीएल टेक्नोलॉजीज के मुख्य कार्याधिकारी सी विजयकुमार ने कहा कि साइबर सुरक्षा केंद्र सुरक्षा सेवाओं का विस्तार करने का अच्छा तरीका हैं और ये हमारे सुरक्षा राजस्व में अहम योगदान देंगे। नोएडा में मुख्यालय वाली इस कंपनी के वैश्विक रूप से डलास, अमेरिका और चेन्नई, नोएडा तथा बेंगलूरु में ऐसे पांच साइबर सुरक्षा केंद्र पहले से ही हैं। इन्फोसिस ने भी इस साल के शुरू में इंडियानापोलिस में इसी तरह के साइबर डिफेंस सेंटर की घोषणा की थी।