एक समय देश में सस्ते स्मार्टफोन की क्रांति लाने वाली देसी हैंडसेट कंपनियां लंबे अरसे से चीनी कंपनियों से पिछड़ रही थीं। मगर उन्होंने एक बार फिर पूरे दम से फोन बाजार में वापसी की तैयारी कर ली है। कम से कम दो देसी कंपनियां लावा और माइक्रोमैक्स रणभेरी बजा रही हैं और वे चीन की उन कंपनियों से मुकाबला करेंगी, जिन्होंने पिछले कुछ साल से उन्हें भारतीय बाजार से करीब-करीब बाहर ही कर दिया था।
लावा इंटरनैशनल ने पहले जैसा रुतबा हासिल करने के लिए पूरा खाका तैयार कर लिया है। इसके तहत कंपनी स्थानीय विनिर्माण आधार तो बढ़ाएगी ही, वितरण तथा शोध-विकास को भी मजबूती देगी। इसके अलावा वह नए उत्पाद उतारेगी और निर्यात के लिए वैश्विक स्तर पर साझेदारी भी करेगी। लावा इंटरनैशनल के मुख्य विनिर्माण अधिकारी संजीव अग्रवाल के अनुसार कंपनी केंद्र सरकार की उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) की योजना का फायदा उठाकर अपनी क्षमता बढ़ाएगी और अंतरराष्ट्रीय कारोबार में भी इजाफा करेगी। उन्होंने कहा, ‘इससे भारतीय कंपनियां दुनिया के मोबाइल बाजार में अपना डंका बजवा सकेंगी। हमारे निवेश से रोजगार के भारी मौके भी तैयार होंगे।’
पीएलआई के तहत अगले पांच साल में कुल तैयार मोबाइल फोन का 60 फीसदी हिस्सा निर्यात करना होगा और इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए लावा दूरसंचार एवं इलेक्ट्रॉनिक्स फ र्मों पर भरोसा कर रही है। दीवाली से पहले उत्पादों की नई शृंखला शायद लावा का पहला बड़ा कदम होगा। नई शृंखला में उपभोक्ताओं की विभिन्न श्रेणियों के लिए करीब आधा दर्जन फोन होंगे। मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया, ‘नई रेंज में शुरुआती स्तर के हैंडसेट के साथ ही पहली बार भारत में डिजाइन किए गए स्मार्टफोन भी होंगे।’ बेहतरीन डिजाइन तैयार करने के लिए लावा देश-विदेश के नामी इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रतियोगिता भी करा रही है।
माइक्रोमैक्स भी देश में चीन के खिलाफ बने माहौल को भांप चुकी है और उसका फायदा उठाने की फिराक में है। कंपनी अपनी नई ब्रांड पहचान ‘इन’ के जरिये उन युवा ग्राहकों को आकर्षित करने जा रही है, जो मोबाइल गेमिंग और सोशल मीडिया सामग्री के दीवाने हैं। कंपनी अपने फोन को ‘इंडिया’ की थीम पर केंद्रित करेगी। 2014 में देसी हैंडसेट बाजार में करीब 20 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली माइक्रोमैक्स चीनी कंपनियों की आंधी की वजह से 2018 तक फीकी पड़ गई। मगर पीएलआई योजना के तहत 500 करोड़ रुपये की निवेश योजना के साथ कंपनी के सह संस्थापक राहुल शर्मा अपने दो संयंत्रों की 20 लाख हैंडसेट हर महीने बनाने की क्षमता का पूरा फायदा उठाना चाहते हैं।
माइक्रोमैक्स अपने खुदरा और वितरण नेटवर्क को मजबूत करने पर पहले ही काम कर रही है। इस समय कंपनी के 10,000 से ज्यादा आउटलेट और 1,000 से ज्यादा सर्विस सेंटर हैं।नए ब्रांड के तहत माइक्रोमैक्स 7,000 से 10,000 रुपये और 20,000 से 30,000 रुपये के हैंडसेट उतारेगी। आईडीसी में शोध निदेशक नवकेंदर सिंह के हिसाब से यह एकदम सही चाल है। उन्होंने कहा कि 10,000 से 20,000 रुपये के हैंडसेट का बाजार सबसे बड़ा है और उसमें चीनी कंपनियों की कड़ी टक्कर झेलनी पड़ेगी।
