देश भर की दूरसंचार कंपनियां आजकल एक अजीब समस्या से जूझ रही हैं। तमाम कस्बों और ग्रामीण इलाकों में लोग 5जी परीक्षण रुकवाने और मोबाइल टावर उखड़वाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। क्यों रुकवा रहे हैं? क्योंकि उन्हें यकीन है कि 5जी तकनीक और उसका परीक्षण कोरोनावायरस महामारी फैलने की अहम वजह है!
इस मुश्किल से पीछा छुड़ाने के लिए कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूटीओ) और विकिरण पर काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन की मदद मांगी है ताकि गांव-कस्बों में बढ़ता खतरा खत्म हो। पिछले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, बिहार और पंजाब में कई जगहों पर भीड़ इक_ी हुई है और मोबाइल टावरों को बंद कराने के लिए जोर-जबरदस्ती की है। दिक्कत यह है कि सोशल मीडिया पर 5जी परीक्षण से वायरस फैलने के मैसेज वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी फैला रखे हैं। इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि वायरस 5जी परीक्षण के कारण ही इतना ज्यादा फैल रहा है।
मोबाइल कंपनियों के कर्मचारियों में डर इतना बढ़ गया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस को गोरखपुर, सोलापुर, फतेहपुर और सिद्ध नगर के ग्रामीण इलाकों में लिखित चेतावनी जारी करनी पड़ी है। पुलिस ने चेतावनी दी है कि जो भी व्यक्ति टावरों को नुकसान पहुंचाने या उखाडऩे की कोशिश करेगा या गलत सूचना फैलाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
दूरसंचार कंपनियों और टावर कंपनियों ने सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के जरिये कहा है कि उन्हें जोर-जबरदस्ती का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और इंटरनैशनल कमीशन ऑफ नॉन-आयनाइजिंग रेडिएशन प्रोटेक्शन का समर्थन मांगा है।
यह विरोध-प्रदर्शन देश भर के विभिन्न स्थानों खासकर कस्बाई और ग्रामीण इलाकों में 5जी परीक्षणों को सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ही शुरू हुआ है। कुछ दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि इस अभियान को ‘निहित स्वार्थ वाले’ उन लोगों का समर्थन हासिल हो सकता है, जो परीक्षण को और लटकाना चाहते हैं। एक दूरसंचार कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘कोविड-19 के प्रसार को अचानक 5जी से जोड़ जाना चिंता की बात है। कहीं इसका मकसद 5जी परीक्षणों को लटकाना या किसी दूसरे समूह को 5जी शुरू करने में मदद करना तो नहीं है?’
सीओएआई ने यह मामला दूरसंचार विभाग के समक्ष भी उठाया है और वैश्विक संगठनों ने उसका समर्थन किया है। डब्ल्यूएचओ ने सोशल मीडिया पर फैले इन संदेशों को गलत बताते हुए स्पष्ट किया है कि वायरस रेडियो तरंगों या मोबाइल नेटवर्क के जरिये नहीं आ सकते हैं। और कोविड उन देशों में भी फैल रहा है, जहां 5जी सेवाएं हैं ही नहीं। आईटीयू ने साफ किया है कि 5जी तकनीक को कोरोना से जोडऩे के दावों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। यहां तक कि इंटरनैशनल कमीशन ऑफ नॉन-आयनाइजिंग रेडिएशन ने भी कहा है कि इन दावों का कोई आधार ही नहीं है। उसने कहा है कि कमीशन के ईएमएफ दिशानिर्देशों में 5जी तकनीकों में रेडिएशन के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों के सभी पहलुओं पर विचार किया गया है।
दूरसंचार कंपनियों ने यह भी याद दिलाया है कि 5जी परीक्षणों को मंजूरी की घोषणा 5 मई को ही हुई है और अभी तो देश में कहीं भी 5जी परीक्षण नहीं हो रहा है। अभी तो उन्हें उपकरण खरीदने और परीक्षण शुरू करने में कम से कम डेढ़-दो महीने लग जाएंगे।
दूरसंचार विभाग ने भी दूरसंचार कंपनियों का समर्थन किया है। इसने कहा है कि 5जी और कोविड-19 को आपस में जोडऩा गलत है।