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कहीं वायरस न बना दे आपको अप्रैल फूल

Last Updated- December 10, 2022 | 10:26 PM IST

आज 1 अप्रैल है यानी मूर्ख दिवस। भले ही यह दिन हंसी-मजाक के रूप में मनाया जाता हो लेकिन पर्सनल कंप्यूटर इस्तेमाल करने वाले लोग आज जरा सावधान रहें।
सुरक्षा विशेषज्ञों ने विंडोंज एक्सपी और विंडोज 2000 के उपयोगकर्ताओं को सलाह दी है कि वे कॉनफिकर वर्म नामक वायरस की तीसरी पीढ़ी से बच कर रहें। यह वायरस अवांछित मेलों का एक नया चक्र शुरू कर सकता है, जिसे एक्सेप्ट करने के साथ ही आपका सारा डेटा चोरी हो सकता है और ऑनलाइन घोटालों को अंजाम दिया जा सकता है।
वास्तव में कॉनफिकर स्वयं की नई नस्ल वाला पीसी वायरस है, जो कमोबेश सभी विंडोज 2000 और एक्सपी मशीनों में घुसपैठ किए हुए है। चीन, ब्राजील, रूस और भारत आदि देशों के कंप्यूटर उपयोगकर्ता इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और ऐसा इसलिए भी क्योंकि इन्हीं देशों में विंडोज की सबसे ज्यादा पाइरेटेड कॉपी मौजूद है।
एसआरआई इंटरनैशनल द्वारा किए गए अनुसंधान से यह बात निकल कर सामने आई है कि कॉनफिकर नामक इस वायरस से भारत में लगभग 607,172 आईपी (इंटरनेट पते) और दुनिया भर में करीब 1 करोड़ आईपी बुरी तरह प्रभावित है। इस वायरस के फैलने से रोकने के लिए सुरक्षा विशेषज्ञों यह सुझाव दे रहे हैं कि जितनी जल्दी हो सके उपयोगकर्ता को चाहिए कि वे अपने विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम और साथ ही एंटीवायरस प्रोग्रामों को अपडेट कर लें।
आइरनपोर्ट सिस्टम के क्षेत्रीय निदेशक अंबरीश देशपांडे ने बताया, ‘इस वायरस से सबसे ज्यादा खतरा विंडोज एक्सपी और विंडोज के अन्य वर्जन को है। उपयोगकर्ताओं को यह सुझाव दिया जाता है कि वे माइक्रोसॉफ्ट के लेटेस्ट पैच को इंस्टॉल करें। इसके साथ ही उपयोगकर्ता अपने सिक्यूरिटी सॉफ्टवेयर को भी अपडेट करें।’ सुरक्षा फर्म इस बात को स्वीकार करते हैं कि भारत और ब्राजील जैसे उभरते हुए देशों में यह वायरस सबसे ज्यादा फैला हुआ है और यहीं सबसे ज्यादा खतरा भी है।
एफ-सिक्यूर के मुख्य सुरक्षा अधिकारी मिक्को हिफ्फोनन ने बताया कि नई पीढ़ी का यह वायरस खुद को कंप्यूटर के हिसाब से ढालने में और अधिक परिष्कृत है। उन्होंने बताया, ‘सुरक्षा सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करके आप इस वायरस को हटा पाना बहुत आसान नहीं है बल्कि सबसे आसान तरीका यही है कि आप प्रभावित सिस्टम को निकाल फेंके।’
आईटी सिक्यूरिटी और सॉल्यूशंस प्रदाता के रूप में एक अग्रणी कंपनी एफ-सिक्यूर का यह भी कहना है कि भारत में इस तरह के वायरस का फैलाव बहुत ज्यादा हो गया है। एफ-सिक्यूर के बिक्री निदेशक वेणु पालक्रिति कहते हैं, ‘हमने यह देखा है कि डाई-हार्ड, जोशी, माइक्रोब्स, वी-साइन और वूलैह जैसे वायरस ने सबसे पहले भारत में ही पांव पसारना शुरू किया है।’
पहले से ही मंदी की मार झेल रहे भारतीय सुरक्षा सॉफ्टवेयर बाजार इसे लेकर बहुत ज्यादा चिंतित है। एक अनुमान के मुताबिक साल 2008 में सुरक्षा सॉफ्टवेयर के बाजार ने महज 25 फीसदी के हिसाब से विकास किया था जबकि साल 2007 में इस बाजार का विकास दर 35.2 फीसदी था।

First Published - March 31, 2009 | 10:52 PM IST

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