‘नॉन-बिलेबल का मतलब क्या है?’ ‘मैं नॉन-बिलेबल हूं, इसलिए बेहद डरा हुआ हूं।’ ‘मेरी ट्रेनिंग पूरी हो गई है और प्रोजेक्ट का इंतजार कर रहा हूं। क्या मुझे भी चिंता होनी चाहिए?’ ‘फिलहाल मैं एक परियोजना पर काम कर रहा हूं, लेकिन ग्राहक मेरा खर्च नहीं उठा रहा तो क्या नॉन-बिलेबल होने की वजह से मुझे भी खतरा है?’ ‘खबर पक्की है? 19,000 बड़ा आंकड़ा है। इसका बड़ा असर होगा।’
आईटी पेशेवर सोशल मीडिया पर इसी तरह की चिंताएं और आशंकाएं जता रहे हैं। दुनिया भर में 19,000 कर्मचारी निकाले जाने की ऐक्सेंचर की घोषणा के फौरन बाद नेटवर्किंग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसी तरह के सवालों और चिंताओं की भरमार दिखने लगी।
वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही के नतीजा बताते समय गुरुवार को कंपनी ने ऐलान किया कि खर्च को दुरुस्त करने के लिए वह अपने कुल 7.38 लाख कर्मचारियों में से 2.5 फीसदी यानी 19,000 की छंटनी करेगी।
भारत कंपनी का सबसे बड़ा विदेशी केंद्र है और यहां उसके 3 लाख से अधिक कर्मचारी हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि छंटनी का भारत में क्या असर दिखेगा, लेकिन उद्योग सूत्रों का कहना है कि यहां 2 से ढाई हजार कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
कंपनी के प्रवक्ता ने एक ईमेल के जवाब में कहा, ‘हमारे कुल वैश्विक कार्यबल के 2.5 फीसदी पर इसका असर दिख सकता है। हमारी पहुंच और वृद्धि के हिसाब से हर बाजार और देश के लिए आंकड़ा अलग-अलग हो सकता है। यह न माना जाए कि हर देश में इतने फीसदी कर्मचारी ही निकाले जाएंगे।’
मेटा (फेसबुक), एमेजॉन, अल्फाबेट, माइक्रोसॉफ्ट एवं अन्य तकनीकी फर्मों ने भी छंटनी की घोषणा की है। मगर उनके मुकाबले ऐक्सेंचर की घोषणा ने भारतीय इंजीनियरों को ज्यादा चिंता में डाल दिया है।
ऐक्सेंचर छंटनी की घोषणा करने वाली अकेली कंपनी नहीं है। पिछले महीने आईबीएम ने भी कहा था कि वह दुनिया भर में 3,900 लोगों की छंटनी करेगी। मगर विश्लेषकों ने पहले भी कहा है कि ऐक्सेंचर की घोषणा का असर भारतीय आईटी सेवा कंपनियों पर तत्काल दिखता है क्योंकि उनका कामकाजी मॉडल एक जैसा है। वे समान मॉडल पर काम करती हैं।
एक्सफेनो के सह-संस्थापक कमल कारंत ने कहा कि हालिया छंटनी और अब ऐक्सेंचर की घोषणा एक साल पहले हुई भारी नियुक्तियों और विस्तार का नतीजा है। उन्होंने कहा, ‘तेजी के दौर में कई कंपनियों ने अधिक खर्च वाली जगहों पर अपना कारोबार बढ़ा लिया। इसलिए कारोबार में नरमी आने पर (बीएफएसआई श्रेणी की तरह) कर्मचारियों की संख्या और नई भर्तियों में बदलाव जरूरी हो गया है। बीएफएसआई आईटी उद्योग का शीर्ष ग्राहक रहा है और इसलिए प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रतिभाओं की संख्या पर असर भी दिख रहा है।’
कारंत ने यह भी कहा कि आईटी में कर्मचारियों के कंपनी छोड़ने की दर अब भी 12 से 13 फीसदी है। इससे पता चलता है कि इस क्षेत्र के भीतर और बाहर प्रतिभाओं की आवाजाही बरकरार रहेगी।
सबसे अहम बात यह है कि ऐक्सेंचर के मुताबिक तीसरी तिमाही में नियुक्तियों की रफ्तार संभवत: सुस्त रहेगी। उसने कहा कि 28 फरवरी 2023 को समाप्त तिमाही में 91 फीसदी कर्मचारियों का उपयोग हुआ, जो आंकड़ा संभवत: अन्य प्रमुख आईटी कंपनियों के मुकाबले अधिक है।
बहरहाल आईटी पेशेवरों को चिंता सता रही है कि अन्य प्रमुख आईटी कंपनियां भी ऐक्सेंचर की तरह छंटनी की राह पर चल सकती हैं। आईटी क्षेत्र में जो कुछ भी होता है उसकी गूंज दूर तक सुनाई देती है। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में टीसीएस में जितने कर्मचारी भर्ती हुए, उनसे ज्यादा ने कंपनी छोड़ दी। इन्फोसिस और विप्रो में भी भर्तियां उम्मीद से कम रहीं। कई कंपनियां तो फ्रेशर भर्ती करने के लिए कॉलेज कैंपस ही नहीं गईं।
एचआर विशेषज्ञों का कहना है कि छंटनी के कारण वेतन वृद्धि और भर्तियों पर पहले ही असर पड़ चुका है। एडेको इंडिया के निदेशक (प्रबंधित सेवा एवं पेशेवर नियुक्ति) एआर रमेश ने कहा, ‘पहले जिन लोगों का वेतन 100 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ा है, वे निशाने पर होंगे। हमें इस श्रेणी को प्रभावित करने वाली कुछ छंटनी भी दिख सकती है।’
रमेश का मानना है कि इस साल 8 से 9 फीसदी के दायरे में वेतन वृद्धि के साथ उद्योग पहले से ही सामान्य होने जा रहा है। मगर उन्होंने कंपनियों को चेताया कि कर्मचारियों की छंटनी का आगे व्यापक प्रभाव दिख सकता है।