ऐपल आईफोन 15 और आईफोन प्लस को भारत में असेंबल करने की अधिक लागत शायद अपने ग्राहकों पर नहीं डाल रही है, जो चीन की तुलना में अधिक है क्योंकि यह फ्रेट ऑन बोर्ड (एफओबी) मूल्य से 13 प्रतिशत अधिक है। वह भारत में 10-12 प्रतिशत का भारी डीलर मार्जिन वहन करने के लिए फोन की कीमत में बढ़ोतरी नहीं करेगी। लेकिन इसके बावजूद भारत में निर्मित फोन अमेरिका या दुबई में उपलब्ध फोन की तुलना में कहीं अधिक महंगे हैं।
आंकड़ों पर नजर डालने से दिलचस्प कहानी सामने आती है। आईफोन के उत्पादन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बहुप्रचारित उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के बावजूद भारत में फोन असेंबल करने के मुकाबले चीन में असेंबल करने के बीच का अंतर अब भी उनके एफओबी मूल्य का लगभग सात से आठ प्रतिशत है।
पीएलआई योजना के तहत ऐपल के अनुबंधित निर्माताओं को सालाना औसतन चार से छह प्रतिशत तक का प्रोत्साहन मिलता है। हालांकि इससे कुछ फर्क तो पड़ता है, लेकिन यह दोनों देशों के बीच संपूर्ण लागत अंतर को पाट नहीं सकता है।
चीन की तुलना में ऐपल को भारत में शुल्क संबंधी बाधा का भी सामना करना पड़ता है।
भारत में असेंबल किए गए फोन का मूल्य लगभग 15 प्रतिशत से अधिक होता है। भारत में आईफोन की असेंबली में शामिल सूत्रों का कहना है कि बहुत सारे पुर्जों का आयात किया जाता है और सरकार उन पर बुनियादी सीमा शुल्क लगाती है।
भारत में असेंबल किए गए आईफोन की सामग्री लागत के बिल पर इन शुल्कों से सात से आठ प्रतिशत (या एफओबी मूल्य पर लगभग पांच प्रतिशत) का इजाफा होता है।
हालांकि चीन में ऐपल शून्य शुल्क पर इन पुर्जों का आयात करता है। अलबत्ता यह अतिरिक्त बोझ भी ग्राहकों पर नहीं डाला जाता है। ऐपल के प्रवक्ता ने इस विषय में पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।
इसके अलावा भारत में ऐपल फोन बेचने का खुदरा मार्जिन 10 प्रतिशत से 12 प्रतिशत तक है क्योंकि ये देश भर में 3,000 से अधिक खुदरा विक्रेताओं, छोटे विक्रेताओं और वितरकों के जरिये बेचे जाते हैं। देश में ऐपल के स्वामित्व वाले और ब्रांडेड स्टोर दो ही हैं।
इसके विपरीत अमेरिका में अधिकांश फोन दूरसंचार कंपनियों के जरिये बेचे जाते हैं या उन्हें देश में मौजूद ऐपल के स्वामित्व वाले कई स्टोरों से खरीदा जाता है। इसलिए वितरण लागत भारत की तुलना में काफी कम रहती है।
ऐपल इंक देश में बिक्री बढ़ाने की दीर्घकालिक रणनीति के तहत घरेलू बाजार में मेक इन इंडिया फोन बेचते समय इन सभी अतिरिक्त लागतों को वहन करती है। लेकिन यह फोन पर लगने वाला 18 प्रतिशत का भारी जीएसटी वहन नहीं नहीं कर सकती है। इसका बोझ पूरी तरह से ग्राहकों पर डाल दिया जाता है।
ऐपल हमेशा फोन की वैश्विक कीमत की घोषणा अमेरिकी डॉलर में करती है। मिसाल के तौर पर आईफोन 15 के लिए यह 799 डॉलर (66,349 रुपये) और आईफोन प्लस के लिए 899 (74,653 रुपये) है। हालांकि विभिन्न देशों में जिस कीमत पर उनकी खुदरा बिक्री की जाती है, वह स्थानीय करों में अंतर की वजह से अलग होती है।