facebookmetapixel
दक्षिण भारत के लोग ज्यादा ऋण के बोझ तले दबे; आंध्र, तेलंगाना लोन देनदारी में सबसे ऊपर, दिल्ली नीचेएनबीएफसी, फिनटेक के सूक्ष्म ऋण पर नियामक की नजर, कर्ज का बोझ काबू मेंHUL Q2FY26 Result: मुनाफा 3.6% बढ़कर ₹2,685 करोड़ पर पहुंचा, बिक्री में जीएसटी बदलाव का अल्पकालिक असरअमेरिका ने रूस की तेल कंपनियों पर लगाए नए प्रतिबंध, निजी रिफाइनरी होंगी प्रभावित!सोशल मीडिया कंपनियों के लिए बढ़ेगी अनुपालन लागत! AI जनरेटेड कंटेंट के लिए लेबलिंग और डिस्क्लेमर जरूरीभारत में स्वास्थ्य संबंधी पर्यटन तेजी से बढ़ा, होटलों के वेलनेस रूम किराये में 15 फीसदी तक बढ़ोतरीBigBasket ने दीवाली में इलेक्ट्रॉनिक्स और उपहारों की बिक्री में 500% उछाल दर्ज कर बनाया नया रिकॉर्डTVS ने नॉर्टन सुपरबाइक के डिजाइन की पहली झलक दिखाई, जारी किया स्केचसमृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला मिथिलांचल बदहाल: उद्योग धंधे धीरे-धीरे हो गए बंद, कोई नया निवेश आया नहींकेंद्रीय औषधि नियामक ने शुरू की डिजिटल निगरानी प्रणाली, कफ सिरप में DEGs की आपूर्ति पर कड़ी नजर

निवेश में छाई जेनरेटिव AI, वेब3.0 पर पड़ रही भारी

जेनरेटिव एआई विभिन्न उपयोगों के अनुकूल है और इसे अभी तक नियामक जांच या अनिश्चितता का सामना नहीं करना पड़ा है

Last Updated- June 23, 2023 | 12:00 AM IST
Artificial Intelligence

भारतीय स्टार्टअप की प्रौद्योगिकी प्राथमिकता वेब3.0 से जेनरेटिव आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) की ओर स्थानांतरित हो रही है, जो निवेशकों की धारणा और क्षेत्रों को आकार दे रही है।

जेनरेटिव एआई एक तरह से ऐसी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के बारे में बताता है, जो मौजूदा डेटा से पैटर्न सीखकर नई सामग्री जैसे टेक्स्ट, इमेज या ऑडियो का निर्माण कर सकती है। यह ऐसे अनोखे और मूल परिणाम दे सकती है, जिसे साफ तौर पर मनुष्यों द्वारा बनाया या प्रोग्राम न किया गया हो।

वेब3.0 या वेब3, जिसे विकेंद्रीकृत इंटरनेट के रूप में भी जाना जाता है, उस ब्लॉकचेन तकनीक पर निर्मित की गई है, जिसका इस्तेमाल अन्य उद्देश्यों के अलावा क्रिप्टोकरेंसी के लिए किया जाता है।

उद्योग के विशेषज्ञों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि क्रिप्टोकरेंसी के धराशायी होने, डिजिटल परिसंपत्तियों के संबंध में विनियामकीय अनिश्चितता तथा निजी इक्विटी और उद्यम पूंजी फंडिंग में गिरावट के बाद निवेशक वेब3 को लेकर सतर्क हो गए हैं।

भारत में 1,367 सक्रिय ब्लॉकचेन स्टार्टअप हैं और उनमें से वेब3 विशेषज्ञों ने इस साल 1 जून तक आठ सौदों से संयुक्त रूप में केवल 71 करोड़ डॉलर की रकम ही जुटाई थी। बाजार पर नजर रखने वाले प्लेटफॉर्म ट्रैक्सन के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल की समान अवधि की तुलना में यह राशि 99 प्रतिशत कम है। वेब3 स्टार्टअप कंपनियों ने 2022 में 55 सौदों में 90.49 करोड़ डॉलर जुटाए थे।

भारतीय जेनेरिक एआई स्टार्टअप, जो केवल 42 ही हैं, ने इस साल चार सौदों में 3.18 करोड़ डॉलर जुटाए हैं। वर्ष 2022 में 14 सौदों के जरिये ऐसे निवेश की राशि 40.9 करोड़ डॉलर रही।

जेनरेटिव एआई विभिन्न उपयोगों के अनुकूल है और इसे अभी तक नियामक जांच या अनिश्चितता का सामना नहीं करना पड़ा है, जो निवेशकों की रुचि पैदा करने वाले कारक हैं।

प्रौद्योगिकी पर केंद्रित शुरुआती चरण वाली उद्यम पूंजी फर्म लियो कैपिटल के साझेदार रवि श्रीवास्तव कहते हैं कि नवोन्मेष की अभूतपूर्व दर और चैटजीपीटी तथा एलएलएम (लार्ज लैंग्वेज मॉडल) पर निर्मित करैक्टर-एआई अनुप्रयोगों को अपनाने के कारण जेनेरिक एआई क्षेत्र में निवेशकों की विशेष रुचि देखी गई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि वेब3 कंपनियों में निवेश घट रहा है क्योंकि इस प्रौद्योगिकी के लिए भारतीय नियम स्पष्ट नहीं हैं। श्रीवास्तव कहते हैं कि नियामकीय स्पष्टता की कमी और सरकारी एजेंसियों के हालिया रुख ने निवेशकों के लिए फैसला लेना कठिन बना दिया है तथा इस क्षेत्र में और मंदी पैदा कर दी है। क्रिप्टोकरेंसी, जो भारतीय वेब3 के उपयोग का एक बड़ा हिस्सा है, को नियामकी अस्पष्टता का सामना करना पड़ रहा है।

First Published - June 23, 2023 | 12:00 AM IST

संबंधित पोस्ट