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Internship Scheme: टॉप 500 कंपनियों में इंटर्नशिप का मौका, सरकार ने उद्योगों से बातचीत शुरू की

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में केंद्रीय बजट में घोषणा की थी कि केंद्र सरकार शीर्ष 500 कंपनियों में युवाओं को इंटर्नशिप के लिए एक योजना शुरू करेगी।

Last Updated- August 06, 2024 | 9:57 PM IST
PM's Internship Scheme

केंद्रीय बजट 2024-25 में की गई घोषणा के बाद कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत इंटर्नशिप कार्यक्रम शुरू करने के लिए कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय (एमसीए) उद्योगों से बातचीत कर रहा है। यह खबर सरकारी सूत्रों के हवाले से आई है।

अब तक, मंत्रालय ने 20 कंपनियों के साथ चर्चा की है और शीर्ष 500 कंपनियों की लिस्ट से और अधिक कंपनियों को बातचीत के लिए आमंत्रित करने की तैयारी कर रहा है। अधिकारियों ने कहा कि बातचीत पूरी होने के बाद योजना का विस्तृत ढांचा मंत्रालय द्वारा तैयार किया जाएगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में केंद्रीय बजट में घोषणा की थी कि केंद्र सरकार शीर्ष 500 कंपनियों में युवाओं को इंटर्नशिप के लिए एक योजना शुरू करेगी। MCA इन कंपनियों के साथ मिलकर इंडस्ट्रियल स्किल्स ट्रेनिंग के लिए संसाधन जुटाएगा। इस योजना के तहत, इंटर्न को हर महीने लगभग 5,000 रुपये का स्टाइपेंड और एक बार में लगभग 6,000 रुपये की सहायता मिलेगी। इन इंटर्न को ट्रेनिंग देने का खर्च कंपनियां अपनी CSR गतिविधियों के माध्यम से वहन करेंगी। इस योजना में कंपनियों की भागीदारी उनकी इच्छा के अनुसार है।

इंटर्नशिप टॉप 500 कंपनियों के सप्लायर या वैल्यू चेन पार्टनर के जरिए दी जाएगी। अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम के उलट, कंपनियों पर इंटर्न को स्थायी नौकरी देने का कोई दबाव नहीं होगा। सरकार इंटर्नशिप भत्ते का 90% हिस्सा देगी, बाकी 10% कंपनियां देंगी और ट्रेनिंग का खर्च कंपनियां खुद उठाएंगी। वित्त सचिव टी वी सोमनाथन ने बताया कि इस योजना पर करीब 60,000 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है।

सोमनाथन ने आगे बताया कि सरकार पढ़ाई के लिए स्कूल-कॉलेज बना सकती है और टीचर रख सकती है, लेकिन उद्योगों की जरूरत के हिसाब से ट्रेनिंग देना मुश्किल होता है। उन्होंने बताया कि नई इंटर्नशिप योजना पढ़ाई और उद्योगों की जरूरतों के बीच की कमी को पूरा करेगी। कुल 60,000 करोड़ रुपये में से 30,000 करोड़ रुपये राज्य सरकारें देंगी, बाकी पैसे कंपनियां सीएसआर के जरिए, खासकर उपकरण खरीदने के लिए, देंगी। एमसीए योजना को अंतिम रूप देते वक्त पारदर्शिता के लिए जांच-पड़ताल की व्यवस्था भी करेगा।

भारत में कंपनी अधिनियम के तहत कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) करना जरूरी है, ऐसे कानून बहुत कम देशों में हैं। दुनिया के ज्यादातर देशों में सीएसआर करना स्वैच्छिक होता है, हालांकि नॉर्वे और स्वीडन जैसे देशों में पहले सीएसआर करना जरूरी था, अब ये स्वैच्छिक है। एमसीए के आंकड़े बताते हैं कि सीएसआर पर खर्च बढ़ रहा है, 2021-22 में यह करीब 26,579.78 करोड़ रुपये था जो 2022-23 में बढ़कर करीब 29,986.92 करोड़ रुपये हो गया। 2022-23 में सीएसआर परियोजनाओं की संख्या 44,425 से बढ़कर 51,966 हो गई। देश में कुल सीएसआर खर्च का 84 फीसदी गैर-सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का है।

First Published - August 6, 2024 | 6:21 PM IST

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