भारत के रियल्टी क्षेत्र ने कैलेंडर साल 2022 में संस्थागत निवेशकों से 47 सौदों में 5.2 अरब डॉलर का निवेश प्राप्त किया। रियल्टी क्षेत्र ने भूराजनीतिक स्थितियों और मुद्रास्फीति के बढ़ते दबाव के बावजूद कैलेंडर साल 2021 की तुलना में 19 फीसदी अधिक निवेश प्राप्त किया। यह जानकारी जेएलएल की रिपोर्ट में दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार कैलेंडर साल 21 की तुलना में कैलेंडर साल 22 में औसत लेनदेन 46 फीसदी अधिक हुआ था। साल 2022 में लेनदेन का औसत 10.5 करोड़ डॉलर रहा था।
कैलेंडर साल 22 की तीसरी तिमाही (जुलाई-अगस्त) के दौरान बीते साल की इसी अवधि की तुलना में 12 फीसदी कम हुआ था। हालांकि बीते साल की तुलना में कैलेंडर साल 22 की चौथी तिमाही में 103 फीसदी का इजाफा हुआ।
संस्थागत निवेशकों ने फैमिली ऑफिस, विदेशी कॉरपोरेट समूहों, विदेशी बैंकों, प्रापराइटरी बुक्स, पेंशन कोष, निजी इक्विटी, रियल एस्टेट फंड-सह-डवलपर्स, विदेशी वित्त पोषित एनबीएफसी और सॉवरेन वेल्थ फंड में निवेश किया। परामर्श फर्म ने पब्लिक डोमेन में उपलब्ध आंकड़ों को इस रिपोर्ट में शामिल किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक निवेश के मामले में ऑफिस क्षेत्र 36 फीसदी हिस्सेदारी के साथ अग्रणी रहा। कैलेंडर साल 22 में रिहायशी क्षेत्र ने जोरदार ढंग से वापसी की और इस अवधि में हुए कुल निवेश में आवास क्षेत्र की हिस्सेदारी 30 फीसदी रही।
रियल एस्टेट निवेश के बाजार में 2022 में जोरदार उछाल कायम रहा और यह 5.2 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया। जेएलएल इंडिया के कैपिटल मार्केट के प्रबंध निदेशक व प्रमुख लता पिल्लई ने बताया कि निवेशकों ने बीते समय के अनिश्चितता भरे माहौल में अपने को ढाल लिया है। हमें उम्मीद है कि इस साल भी निवेशकों का यह आशावादी रुझान कायम रहेगा।
पिल्लई ने कहा,’इस साल भी वाणिज्यिक पसंदीदा क्षेत्र बना हुआ है। हमें उम्मीद है कि आने वाले सालों में वेयर हाउसिंग और डेटा सेंटर संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करेंगे।’
आवास खंड में साल 2016 के बाद से गिरावट के रुझान थे। लेकिन खरीदारों के जरूरत समझने के कारण इस खंड ने गति पकड़नी शुरू कर दी। तेजी से बिक्री बढ़ने के कारण महामारी के बाद निवेशकों ने इस आवास खंड पर ध्यान देना शुरू कर दिया।
रिपोर्ट के अनुसार आवास में कैलेंडर साल 21 में 108.1 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ था। इस खंड ने कैलेंडर साल 22 में 156.4 करोड़ डॉलर का निवेश आकर्षित किया। बीते साल की तुलना में सालाना 45 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। हालांकि खुदरा क्षेत्र को अपनी हिस्सेदारी के लिए महामारी के दौर से संघर्ष करना पड़ा।