देश की दूसरी सबसे बड़ी IT कंपनी इंफोसिस (Infosys) को आयकर विभाग (Income Tax department) से विंडफॉल टैक्स रिफंड के रूप में करीब 6,329 करोड़ रुपये जल्द मिलने की उम्मीद है। कंपनी ने 30 मार्च 2024 को एक एक्सचेंज फाइलिंग में शेयर बाजारों को इसकी जानकारी दी। हालांकि, असेसमेंट ऑर्डर (assessment orders) के मुताबिक, कंपनी को 2,763 करोड़ रुपये की कर देनदारी (tax liability) का भी सामना करना पड़ सकता है।
शेयर बाजारों को दी सूचना में कंपनी ने कहा, “इंफोसिस 31 मार्च, 2024 को समाप्त होने वाली तिमाही और वर्ष के वित्तीय विवरणों पर इन आदेशों के निहितार्थ का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया में है।”
असेसमेंट ऑर्डर आयकर अधिनियम, 1961 की विभिन्न धाराओं के अनुसार हैं। उक्त रिफंड, ब्याज सहित, 2007-08 से 2018-19 तक के मूल्यांकन वर्षों से संबंधित हैं।
दूसरी ओर, कर देनदारी ब्याज सहित आकलन वर्ष 2022-23 से संबंधित है। इसके अलावा, आकलन वर्ष 2011-12 के लिए, इंफोसिस ने ब्याज सहित 4 करोड़ रुपये की कर मांग की है।
2022-23 में, कंपनी ने 9,214 करोड़ रुपये का समेकित आयकर व्यय दर्ज (consolidated income tax expenses) किया, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह 7,964 करोड़ रुपये था। कंपनी के अनुसार, आयकर व्यय में वर्तमान और स्थगित आयकर शामिल हैं।
दिसंबर में समाप्त तिमाही में कंपनी ने 2,500 करोड़ रुपये से ज्यादा का आयकर व्यय दर्ज किया।
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इन आदेशों का प्रभाव केवल इंफोसिस तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसकी सहायक कंपनियों को भी आयकर विभाग द्वारा असेसमेंट ऑर्डर दिए गए हैं।
इन ऑर्डरों में 2018-19 और 2021-23 के आकलन वर्षों के लिए ब्याज सहित कुल मिलाकर 277 करोड़ रुपये की कर मांग शामिल है।
इंफोसिस ने कहा कि वह अपने वित्तीय विवरणों पर इन आदेशों के निहितार्थ का मूल्यांकन कर रही है और “इन आदेशों के खिलाफ अपील दायर करने का भी मूल्यांकन कर रही है।”
इसके अलावा, इंफोसिस की एक इकाई को मूल्यांकन वर्ष 2007-09 और 2016-17 के लिए उसी कानून की विभिन्न धाराओं के तहत 14 करोड़ रुपये के रिफंड आदेश प्राप्त करने की उम्मीद है।