भारत में 2023 से 2028 के बीच 3 करोड़ डॉलर या उससे अधिक की संपत्ति वाले अति धनाढ्य लोगों की संख्या अन्य देशों की तुलना में सबसे तेजी से बढ़ सकती है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
नाइट फ्रैंक की ‘द वेल्थ रिपोर्ट 2024’ के अनुसार देश में धनकुबेरों की संख्या वर्ष 2023 के 13,263 से 50.1 फीसदी बढ़कर वर्ष 2028 तक 19,908 हो जाएगी। भारत के बाद चीन (47 फीसदी), तुर्की (42.9 फीसदी) और मलेशिया (35 फीसदी) में धनाढ्यों की तादाद सबसे तेजी से बढ़ेगी।
नाइट फ्रैंक में वैश्विक प्रमुख (शोध) लायम बेली ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि भारत में इस उच्च वृद्धि का बड़ा कारण देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उच्च वृद्धि है।
उन्होंने कहा, ‘प्रारंभिक कारण भारतीय अर्थव्यवस्था का नजरिया है। हम जिस देश को अपनी सूची में शामिल करते हैं उसकी जीडीपी वृद्धि में आर्थिक पूर्वानुमानों का उपयोग करते हैं और अभी ऐसा लग रहा है कि अगले पांच वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन करेगी। और अति अमीर लोगों की तादाद बढ़ने का यही सबसे बड़ा कारण भी है।’
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है धनाढ्यों की जमात बढ़ने में एशिया का दबदबा रहेगा। अगले पांच वर्षों में एशिया में धनाढ्यों की संख्या 38.3 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर इस अवधि के दौरान 28.1 फीसदी धनाढ्य बढ़ेंगे। बेली ने कहा कि पिछले 15 से 20 वर्षों के दौरान वृद्धि के मामले में एशिया असाधारण क्षेत्र रहा है।
उन्होंने कहा, ‘एशिया वैश्विक अर्थव्यवस्था का बड़ा केंद्र बन रहा है और यह रुझान आगे भी बरकरार रहेगा।’ बेली ने कहा कि वर्ष 2028 तक एशिया के बाद सबसे अधिक धनाढ्य पश्चिम एशिया और उत्तर एशिया में होंगे।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2023 में एक साल पहले के मुकाबले भारत में धनाढ्यों की आबादी में 6.1 फीसदी का इजाफा हुआ है इसी अवधि के दौरान दुनिया भर में धनाढ्यों की संख्या 4.2 फीसदी बढ़कर 6,26,619 हो गई। धनाढ्य भारतीय भी 2024 में अपनी संपत्ति और बढ़ने को लेकर आशान्वित हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ’90 फीसदी भारतीय धनकुबेरों को उम्मीद है कि इस साल उनकी संपत्ति में इजाफा होगा।’
उनमें से करीब 63 फीसदी धनाढ्यों को ऐसा लगता है कि उनकी संपत्ति 2024 में 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ेगी। नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल के अनुसार भारत में समृद्धि का नजरिया जीवंत है। उन्होंने कहा, ‘भले ही वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताएं हैं मगर घरेलू मुद्रास्फीति के जोखिम कम होने और दरों में कटौती की संभावना से भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार और तेज होगी।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि धनाढ्य भारतीयों के लिए वर्ष 2023 में निवेश का बेहतर विकल्प घड़ियां थीं। उसके बाद धनाढ्यों ने कलाकृतियां और आभूषण में भी खूब निवेश किया।
नाइट फ्रैंक की लक्जरी निवेश सूचकांक 2023 के अनुसार पिछले एक दशक में घड़ियों की कीमतों में 138 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसी तरह कलाकृतियों के दाम 105 फीसदी और आभूषण के दाम 37 फीसदी बढ़े हैं। मगर वैश्विक स्तर पर रुझान थोड़ा अलग है। दुनिया के अन्य देशों के धनाढ्यों के लिए कलाकृतियां सबसे पसंदीदा निवेश माना गया है। उसके बाद घड़ियां और क्लासिक कारों का स्थान है। पिछले दस वर्षों में ऐसी कारों की कीमतों में 82 फीसदी की उछाल आई है।
बैजल ने कहा, ‘घरेलू और वैश्विक दोनों बाजार में ऐसी वस्तुओं पर पर काफी ज्यादा रिटर्न मिलने से भारतीय धनाढ्य अपनी पसंदीदा क्षेत्रों में निवेश के अवसर तलाश रहे हैं। भारत के विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के बीच दुर्लभ संग्रहणीय वस्तुओं की मांग बढ़ रही है और जैसे-जैसे देश में संपत्ति बढ़ रही है हम इन परिसंपत्ति वर्गों में और निवेश की उम्मीद कर सकते हैं।’