भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सेक्टर को दिया गया कुल ऋण अब 40 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। यह जानकारी सीआरआईएफ हाई मार्क की ताजा रिपोर्ट से सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2025 तक एमएसएमई को मिला कुल ऋण पिछले साल की तुलना में 20% ज्यादा रहा। इसका मुख्य कारण यह है कि प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए बैंकों द्वारा ऋण देने की नीति को मजबूत किया गया है, साथ ही सरकार ने एमएसएमई के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इसके अलावा, कारोबार में डिजिटाइजेशन बढ़ने से भी कर्ज हासिल करना आसान हुआ है।
हालांकि, चालू ऋण खातों की संख्या में थोड़ी गिरावट देखी गई है। रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2025 में सक्रिय ऋणों की संख्या घटकर 2.14 करोड़ रह गई, जो एक साल पहले के मुकाबले 1.3% कम है। जबकि वित्त वर्ष 2024 में इनमें करीब 24% की वृद्धि दर्ज की गई थी।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एमएसएमई सेक्टर का ऋण पोर्टफोलियो अब पहले से बेहतर स्थिति में है। मार्च 2025 तक 31 से 90 दिनों के विलंब वाले ऋणों का अनुपात (पीएआर) 1.7% पर स्थिर रहा, जबकि 91 से 180 दिनों वाले ऋणों में सुधार दिखा और यह अनुपात घटकर 1.2% हो गया है। 180 दिनों से ज्यादा विलंब वाले कर्जों का पीएआर भी 5.7% पर पहुंचा है, जो पिछले साल की तुलना में 90 आधार अंक कम है।