देश में सेमीकंडक्टर चिप की मांग में बड़ा बदलाव आने वाला है। मूल्य के लिहाज से साल 2032 तक 60 प्रतिशत हिस्सा 10 नैनोमीटर (एनएम) से छोटी चिप का रहने की उम्मीद है। इंडियन इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आईईएसए) की आने वाली रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है। इस रिपोर्ट को सरकार के सहयोग से जल्द जारी किया जाएगा।
वर्तमान में 10 नैनोमीटर चिप की देश के 40 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर बाजार में केवल 24 से 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2030 तक देश में सेमीकंडक्टर चिप की मांग बढ़कर 100 अरब डॉलर से ज्यादा होने का अनुमान है।
आईईएसए के अध्यक्ष अशोक चांडक 10 नैनोमीटर से कम की चिपों की दिशा में बढ़ने के बारे में बताते हैं, ‘भारत में डेटा केंद्र, मोबाइल फोन और कंप्यूटिंग हार्डवेयर सभी को साल 2030 तक 10 नैनोमीटर से कम वाली अत्याधुनिक चिपों की जरूरत होगी।
इन उत्पादों को ज्यादा मेमरी की जरूरत होगी, जो आम तौर पर तीन से चार नैनोमीटर की रेंज में आती है।’ चांडक स्वीकार करते हैं कि देश में 10 नैनोमीटर से कम वाली चिपों की ज्यादातर मांग आयात से पूरी करनी पड़ेगी।
उन्होंने कहा ‘हां, 10 नैनोमीटर से कम वाली चिपों का एक बड़ा हिस्सा आयात किया जाएगा। हालांकि भारत में आउटसोर्स किए गए सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट (ओएसएटी) क्षेत्र की माइक्रोन जैसी कंपनियां, जिन्हें कम पूंजीगत व्यय की जरूरत होती है, और अन्य उभरती हुई कंपनियां इस मांग का कुछ हिस्सा पूरा करने में सक्षम होंगी। फिर भी निर्माण (फैब) के लिहाज से 10 नैनोमीटर से कम क्षमता वाली चिप की आपूर्ति सीमित रहेगी।
चांडक का कहना है कि भारतीय फैब प्लांटों में 28 नैनोमीटर से 45 नैनोमीटर तक की पारंपरिक प्रौद्योगिकी चिपों के लिए अब भी बड़ा बाजार होगा। इन प्लांटों में टाटा और अन्य कंपनियों के ऐसे प्लांट शामिल हैं, जिनमें आने वाले वर्षों में परिचालन शुरू होने की उम्मीद है।
इस श्रेणी का मूल्य साल 2032 तक लगभग 40 अरब डॉलर होने का अनुमान है और इसकी विभिन्न क्षेत्रों में जरूरत होगी। परिपक्व और ज्यादा नैनोमीटर चिपों के लिए बड़ा निर्यात बाजार होगा।
चांडक ने कहा ‘भारतीय ओएसएटी और फैब प्लांट को अब भी बड़ा निर्यात बाजार मिलेगा। सेमीकंडक्टर चिप की वैश्विक मांग साल 2030-32 तक एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें से 65 प्रतिशत मांग 10 नैनोमीटर से कम वाले चिपों के लिए होने की उम्मीद है। हालांकि 10 से ऊपर के चिपों के लिए अब भी 300 से 350 अरब डॉलर की मांग होगी, जिसे पूरा करने की जरूरत है।’