इंडिगो (Indigo) को उम्मीद है कि 2030 तक उसके बेड़े का 30 से 40 फीसदी हिस्सा वित्तीय पट्टे पर होगा। इससे बिक्री और लीजबैक सौदों पर लंबे समय से चली आ रही निर्भरता खत्म करने का पता चलता है। मुख्य वित्तीय अधिकारी गौरव नेगी ने बुधवार को विमानन कंपनी की सालाना आम बैठक में शेयरधारकों को यह जानकारी दी। 30 जून तक इंडिगो के बेड़े में 416 विमान थे। इनमें से 69 वित्तीय लीज पर, 336 परिचालन लीज पर और 11 डैम्प लीज पर थे। कुल बेड़े का करीब 17 फीसदी अभी वित्तीय लीज पर है।
इंडिगो का ज्यादातर बेड़ा अभी ऑपरेटिंग लीज पर है। इसमें विमान को पट्टेदार से एक निश्चित अवधि के लिए लीज पर लिया जाता है और लीज समाप्त होने पर वापस कर दिया जाता है। ऑपरेटिंग लीज का एक सामान्य रूप सेल ऐंड लीज बैक है जिसमें विमानन कंपनी किसी विमान को पट्टेदार को बेचती है और उसे वापस लीज पर ले लेती है। इससे उसे नकद राशि तो मिलती है लेकिन स्वामित्व छोड़ना पड़ता है।
दूसरी ओर, वित्तीय लीज में इंडिगो को विमान के इस्तेमाल वाले अधिकांश जीवन के लिए स्वामित्व जैसा नियंत्रण मिलता है। इसमें भुगतान भी ऋण की किस्तों की तरह होता है और विमान को परिसंपत्ति के रूप में दर्ज किया जाता है। वित्तीय लीज की ओर बढ़ने से इंडिगो को बेड़े पर बेहतर नियंत्रण, अनुमानित दीर्घकालिक लागत और विमान के अवशिष्ट मूल्य से संभावित लाभ मिलेगा।
नेगी ने कहा, हम अपने बेड़े का विस्तार कर रहे हैं। हमारे पास 920 विमानों का ऑर्डर बकाया है। किसी ने हमसे पूछा था कि 2030 तक स्वामित्व (फीसदी) क्या होगा? हमारा अनुमान है कि 2030 तक वित्तीय लीज के लिहाज से बेड़े का 30 से 40 फीसदी (जो करीब 600 विमान होंगे) हमारा अपना बेड़ा होगा। इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने सालाना आम बैठक के दौरान कहा कि एयरलाइन की कुल यात्री क्षमता का करीब 40 फीसदी 2030 तक अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर लगाया जाएगा। अभी यह करीब 20 फीसदी है।
उन्होंने बताया कि इंडिगो के बिजनेस क्लास प्रोडक्ट (जिन्हें स्ट्रेच कहा जाता है) को पिछले साल चुनिंदा मेट्रो-टू-मेट्रो घरेलू मार्गों पर पेश किया गया था और इसे बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। एयरलाइन ने तब से इसे भारत-बैंकॉक मार्ग पर तैनात किया है और सिंगापुर और दुबई में भी इसकी सेवाओं की योजना बना रही है।