भारतीय स्टार्टअप के पास अभी 20 अरब डॉलर (करीब 1.6 लाख करोड़ रुपये) की नकदी है, जो निवेश का इंतजार कर रही है। पीक एक्सवी पार्टनर्स (पूर्व में सिकोया इंडिया) के प्रबंध साझेदार राजन आनंदन ने यह जानकारी दी।
इस नकदी का मतलब बिना आवंटन वाली ऐसी पूंजी से है जिसे प्राइवेट इक्विटी व वेंचर कैपिटल ने जुटाया है और यह निवेश के लिए तैयार है।
यह ऐसे समय में हो रहा है जब भारतीय स्टार्टअप फंडिंग हासिल करने के मामले में धीमी रफ्तार का सामना कर रहा है, जहां निवेशक अपने-अपने दांव को लेकर काफी ज्यादा सचेत हो गए हैं।
भारत मंडपम में ग्लोबल पार्टनरशिप ऑफ आर्टिफिशल (जीपीAI) समिट में आनंदन ने कहा, निवेशक बिना आवंटन वाली ऐसी पूंजी का आवंटन शानदार क्षेत्रों मसलन आर्टिफिशल इंटेलिजेंस वाली कंपनियों में करना चाहते हैं जो AI आधारित उत्पाद व सेवाओं की पेशकश करती हों।
उन्होंने कहा, अगले 15-20 वर्षों में भारत के पास अरबों डॉलर वाली कम से कम 50 नई (AI वाली) कंपनियां होंगी, जो दुनिया भर की सबसे बड़ी फर्मों की समस्याओं का समाधान करेगी।
रिसर्च फर्म प्रीक्वीन के आंकड़ों के मुताबिक, प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल के पास बिना इस्तेमाल वाली पूंजी यानी नकदी साल 2021 के आखिर के 11.1 अरब डॉलर से बढ़कर 15.6 अरब डॉलर हो गई है।
प्रीक्वीन ने कहा, भारत केंद्रित करीब 70 पीई-वीसी फर्म ने 2022 में 8.5 अरब डॉलर जुटाए, जो अब तक की सर्वोच्च सालाना रकम है।
पीक एक्सवी के पास उसके इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में करीब 400 सक्रिय भारतीय स्टार्टअप हैं। इनमें से करीब 100 सॉफ्टवेयर उत्पाद केंद्रित कंपनियां हैं, वहीं इनमें से 25 AI कंपनियां हैं।
यह ऐसे समय में हो रहा है जब भारतीय स्टार्टअप फंडिंग साल 2023 में सात साल के निचले स्तर पर आ गई है। अनुभवहीन फर्मों के बीच निवेश इस साल सालाना आधार पर 72 फीसदी घटकर 7 अरब डॉलर रह गया, जो पिछले साल 25 अरब डॉलर रहा था। मार्केट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म ट्रैक्सन के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
साल 2023 में वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा फंडिंग वाले इलाकों की सूची में भारत की वैश्विक रैंकिंग भी पांचवें पायदान पर आ गई।
हालांकि निवेशकों ने कहा कि देश का स्टार्टअप इकोसिस्टम साल 2021 के वेंचर कैपिटल निवेश के बाद एक ऐसे मानक तय करने के दौर से गुजर रहा है जहां मॉडल कीमतें व बाजार कीमतें आसपास हों। साल 2021 में स्टार्टअप ने रिकॉर्ड 42 अरब डॉलर जुटाए थे।
तब से निवेशक अपने-अपने दांव को लेकर ज्यादा सचेत हो गए हैं क्योंकि निवेश सौदों पर लगने वाला औसत समय भी बढ़ा है। उद्योग पर नजर रखने वालों ने यह जानकारी दी।आनंदन ने भारतीय AI कंपनियों के लिए ओपन सोर्स आधारित ढांचा बनाने पर जोर दिया ताकि इस क्षेत्र में परिचालन करने वाली कंपनियों के लिए एकसमान मौका सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि भारत को AI उद्योग को विनियमित नहीं करना चाहिए।