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नए सौदों की तैयारी में Apple, फ्लेक्सट्रॉनिक्स, जेबिल, एकस और टाटा कंपनियों के साथ नई साझेदारी के लिए कर रही बातचीत

ऐपल इंक आईफोन और जल्द ही असेंबल होने वाले एयरपॉड्स जैसे अपने उत्पादों में मूल्यवर्धन को बेहतर करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है।

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- September 08, 2024 | 10:26 PM IST

ऐपल इंक आईफोन और जल्द ही असेंबल होने वाले एयरपॉड्स जैसे अपने उत्पादों में मूल्यवर्धन को बेहतर करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसी क्रम में वह नए गैर-चीनी वैश्विक एवं भारतीय वेंडरों के साथ करार करने के अलावा अपने मौजूदा साझेदारों के साथ सहयोग का दायरा बढ़ाने और उन्हें अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में शामिल करने के लिए बातचीत कर रही है।

अपनी इसी योजना के तहत ऐपल बिजली उपकरण बनाने के लिए प्रमुख अमेरिकी कंपनी फ्लेक्सट्रॉनिक्स के साथ बातचीत कर रही है। इसके अलावा एयरपॉड्स के प्लास्टिक एनक्लोजर बनाने के लिए मलेशिया की कंपनी जेबिल के साथ और आईफोन एनक्लोजर के लिए कर्नाटक की ईएमएस कंपनी एकस के साथ बातचीत कर रही है।

इसके अलावा ऐपल हरियाणा, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक की कई कंपनियों के साथ भी पुर्जों के उत्पादन के लिए संपर्क में है। इसका उद्देश्य ऐपल के उत्पाद में मूल्यवर्धन और स्थानीयकरण को बेहतर करना है।

चर्चा है कि ऐपल के अंतरराष्ट्रीय वेंडर भी पूंजीगत उपकरणों के उत्पादन की संभावना तलाशने के लिए टाटा समूह की कंपनियों (टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा) के साथ बातचीत कर रहे हैं। इसे भारतीय उत्पादों में स्थानीय मूल्यवर्धन के लिहाज से काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है।

अमेरिकी कंपनी डिस्प्ले और कैमरा मॉड्यूल जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में संयुक्त उद्यम के लिए भारतीय साझेदारों की भी तलाश भी कर रही है। हालांकि इस बाबत जानकारी के लिए पूछे गए सवालों का टाटा, फ्लेक्स, जेबिल और एकस ने खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं दिया।

ऐपल इंक से भी पूछे गए सवालों का कोई जवाब नहीं आया। पिछले साल ऐपल इंक ने मोबाइल फोन बैटरी बनाने वाली जापान की कंपनी टीडीके के साथ करार किया था। वह आईफोन की बैटरी बनाने के लिए उसका पहला प्रमुख वेंडर थी। इसके लिए कंपनी गुड़गांव में एक बड़ा कारखाना पहले ही स्थापित कर चुकी है।

इसके अलावा कंपनी मदरसन के साथ भी एक सौदा करने जा रही है। ऐपल हॉन्ग कॉन्ग की एक कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम के जरिये आईफोन के पुर्जों का उत्पादन करने के लिए मदरसन के साथ बातचीत कर रही है। दोनों कंपनियों के बीच बातचीत उन्नत चरण में है।

मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला के साथ ऐपल के तीन आईफोन वेंडरों- टाटा, पेगाट्रॉन एवं फॉक्सकॉन- ने तीन साल में 12 से 14 फीसदी मूल्यवर्धन करना शुरू कर दिया है। अन्य कंपनियों के साथ करार के जरिये इस आंकड़े में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है।

सरकार ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के तहत 2027 तक 40 फीसदी मूल्यवर्धन का कठिन लक्ष्य निर्धारित किया था। मगर गलवान में झड़प के बाद भारत-चीन के बीच तनाव के कारण एफडीआई नीति के प्रेस नोट 3 में बदलाव किए जाने से चीन की कंपनियों को निवेश की मंजूरी नहीं दी गई। इनमें से अधिकतर चीनी कंपनियां ऐपल की वेंडर थी।

ऐसे में ऐपल पिछले साल से अपने रुख में बदलाव करते हुए गैर-चीनी वेंडरों और भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

टाटा समूह की कंपनी टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने अपने होसुर कारखाने में आईफोन के पुर्जे बनाना शुरू किया। टाटा ने आईफोन के वेंडर विस्ट्रॉन के अधिग्रहण के साथ ही आईफोन असेंबलिंग में भी दस्तक दी है। अब तमिलनाडु में पेगाट्रॉन के असेंबली कारखाने को खरीदने के लिए भी बातचीत चल रही है।

टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स होसुर में अपना चौथा कारखाना स्थापित करने पर 6,000 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। उसमें आईफोन को असेंबल किया जाएगा और वहां उत्पादन इसी साल जनवरी से शुरू होने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2024 में भारत में आईफोन का उत्पादन 14 अरब डॉलर का हो गया और इसमें से 10 अरब डॉलर के उत्पादों का निर्यात किया गया।

ऐपल अपने वेंडरों के साथ पीएलआई के लिए पात्रता हासिल करना चाहती है क्योंकि आईफोन के 10 फीसदी उत्पादन को चीन से भारत स्थानांतरित करने की उसकी योजना है। हालांकि उसने इस लक्ष्य को पहले ही पार कर लिया है और उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2027 में पीएलआई योजना के अंत तक यह आंकड़ा 20 से 25 फीसदी तक पहुंच जाएगा।

First Published : September 8, 2024 | 10:26 PM IST