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IIAS ने हिंदुस्तान जिंक के तीन बड़े प्रस्तावों पर जताई आपत्ति, जानें क्यों मचा कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर हंगामा

IIAS ने हिंदुस्तान जिंक के सीईओ अरुण मिश्र के पारिश्रमिक और दो स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति का विरोध किया, जिससे कंपनी की गवर्नेंस पर गंभीर सवाल उठे।

Last Updated- August 17, 2025 | 10:20 PM IST
Hindustan Zinc
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) के निदेशक मंडल के तीन फैसलों पर जल्द ही मतदान होना है। लेकिन ये जांच के दायरे में आ गए हैं क्योंकि मतदान सलाहकार फर्म इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज इंडिया (आईआईएएस) ने इन प्रस्तावों के खिलाफ मतदान की सिफारिश की है।

आईआईएएस ने जिस प्रमुख प्रस्ताव पर चिंता जताई है, वह कंपनी के पूर्णकालिक निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण मिश्र की दोबारा नियुक्ति से जुड़ा है। सलाहकार फर्म ने उनके सीईओ बने रहने का समर्थन किया है, लेकिन उनके पारिश्रमिक की शर्तों का विरोध किया है।

मिश्र को वित्त वर्ष 2025 में एचजेडएल से 13.54 करोड़ रुपये का पारिश्रमिक मिला। इसके अलावा उन्हें होल्डिंग कंपनी वेदांत से 6.37 करोड़ रुपये के स्टॉक ऑप्शंस भी मिले। इससे उनका कुल वेतन पैकेज 19.9 करोड़ रुपये हो गया। आईआईएएस का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 में उनका पारिश्रमिक 31.42 करोड़ रुपये रह सकता है। चूंकि एचजेडएल के पास स्टॉक विकल्प योजना नहीं है। इसलिए इसके वरिष्ठ अधिकारियों को होल्डिंग कंपनी वेदांत के स्टॉक विकल्प दिए जाते हैं।

आईआईएएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, जैसा कि वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि स्टॉक ऑप्शंस की लागत वेदांत के साथ एक समझौते के अनुसार एचजेडएल द्वारा उठाई जाती है। हमारा मानना है, चूंकि मिश्र वेदांत में कार्यकारी निदेशक हैं। ऐसे में स्टॉक ऑप्शंस की लागत वेदांत और एचजेडएल को मिलकर काम के आनुपातिक आधार पर उठानी चाहिए, न कि केवल अकेली एचजेडएल को। आईआईएएस ने अपनी रिपोर्ट में प्रस्तावित स्टॉक ऑप्शंस की मात्रा और परिवर्तनीय भुगतानों के प्रदर्शन मानकों के खुलासे पर अधिक पारदर्शिता की मांग की है।

आईआईएएस की रिपोर्ट पर जानकारी के लिए एचजेडएल को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला। इस बीच, आईआईएएस दो स्वतंत्र निदेशकों, पल्लवी जोशी बाखरू और अनूप मित्तल की दोबारा नियुक्ति के प्रस्ताव का भी विरोध कर रहा है।

ग्रांट थॉर्नटन भारत में सीनियर लीडर बाखरू ने इससे पहले 2015 से 2020 के बीच वेदांत में समूह प्रमुख (कराधान) के रूप में कार्य किया था। आईआईएएस ने इस बात पर जोर दिया है कि प्रशासन की सबसे अच्छी परंपरा यही है कि पांच साल के कूलिंग-ऑफ पीरियड के भीतर पूर्व अधिकारियों और उनके पूर्व पर्यवेक्षकों की नियुक्ति को हतोत्साहित किया जाए।  लेकिन इस मामले में इस सीमा का पालन नहीं हो रहा है।

आईआईएएस ने कहा कि मामला तब और पेचीदा हो गया जब ग्रांट थॉर्नटन ने 2023 में ब्लैक माउंटेन माइनिंग सौदे पर एचजेडएल को सलाह दी, जिससे उनकी भूमिका को लेकर हितों के टकराव की आशंका पैदा हो गई है। फर्म ने कहा है कि चटर्जी की दोबारा नियुक्ति का उसका विरोध बोर्ड की स्वतंत्रता के मानदंडों का पालन न करने को लेकर है। 1999 बैच के आईएएस अधिकारी चटर्जी भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसकी हिंदुस्तान जिंक में 27.92 फीसदी हिस्सेदारी है।

चूँकि एचजेडएल का अध्यक्ष गैर-कार्यकारी प्रमोटर है। इसलिए नियमों के अनुसार कंपनी के बोर्ड में आधे स्वतंत्र निदेशकों का होना अनिवार्य है। आईआईएएस के अनुसार 8 अगस्त तक एचजेडएल में स्वतंत्र निदेशकों का प्रतिनिधित्व केवल 33 फीसदी था।

आईआईएएस ने कहा है, अधिक स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति के लिए यह मामला भारत सरकार के खनन मंत्रालय के पास लंबित है। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार बोर्ड में नामित व्यक्तियों की नियुक्ति से पहले बोर्ड की संरचना पर विचार करेगी। हम इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं करते हैं। आईआईएएस ने एचजेडएल के अन्य सात प्रस्तावों पर मतदान की सिफारिश की है जिन पर 25 अगस्त को होने वाली सालाना आम बैठक से पहले 20 से 24 अगस्त के बीच मतदान होगा।

First Published - August 17, 2025 | 10:20 PM IST

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