एमिरेट्स के अध्यक्ष टिम क्लार्क ने एक दिन पहले कहा था द्विपक्षीय अधिकारों को न बढ़ाकर विदेशी विमानन कंपनियों के लिए हवाई पहुंच को रोकना ‘खुद को नुकसान पहुंचाने’ के समान है। इंडिगो के मुख्य कार्याधिकारी पीटर एल्बर्स ने इस पर पलटवार करते हुए इस बात पर जोर दिया कि द्विपक्षीय हवाई सेवा समझौते पारस्परिक रूप से लाभ के लिए होते हैं तथा ‘ज्यादा शोर मचाने’ से कोई ज्यादा सही नहीं हो जाता।
एल्बर्स ने सोमवार को इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) की वार्षिक आम बैठक में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘सबसे पहली बात, इसे द्विपक्षीय समझौता कहा जाता है, ठीक? इसका मतलब है कि दोनों पक्षों को किसी बात पर सहमत होना होगा। अगर कोई एक पक्ष ज्यादा शोर मचाता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप अधिक सही साबित हो जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि अगर एक पक्ष कहे ‘अब हम इसे करते हैं,’ यह इस तरह से काम नहीं करता है।’ यह एक दिन पहले क्लार्क की कड़े शब्दों वाली टिप्पणियों का सीधा जवाब था।
किसी विशिष्ट देश या क्षेत्र का नाम लिए बिना एल्बर्स ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से ऐसे कई अंतरराष्ट्रीय बाजार रहे हैं, जहां विदेशी विमानन कंपनियों ने भारत में उड़ान भरने के लिए अपने अधिकारों का पूरा उपयोग किया है, जबकि भारतीय विमानन कंपनियों ने ऐसा नहीं किया है।
उन्होंने कहा, ‘भारत में बड़ी संख्या में उड़ानें थीं और भारतीय परिचालकों द्वारा कोई परिचालन नहीं किया गया। इसलिए सरकार द्वारा यह कहना कि ‘पहले ट्रैफिक अधिकारों के मौजूदा पूल का इस्तेमाल कर लें और फिर नए पर विचार करें’ मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से निष्पक्ष और संतुलित दृष्टिकोण है।’
उनकी टिप्पणी खाड़ी की एमिरेट्स और कतर एयरवेज जैसी विमानन कंपनियों द्वारा भारत से और भारत के लिए उड़ान अधिकारों में वृद्धि के लिए की जा रही मांगों के बीच आई है। यूएई भारत से साल 2014 के द्विपक्षीय समझौते को संशोधित करने का आग्रह कर रहा है, जिसमें प्रत्येक पक्ष के लिए प्रति सप्ताह 66,504 सीटों की सीमा तय है। एमिरेट्स पहले ही अपना आवंटन पूरा कर चुकी है तथा और ज्यादा उड़ानें शामिल करने की अनुमति नहीं मिलने पर बार-बार निराशा जताई है।
अलबत्ता भारत इन अधिकारों का विस्तार करने के मामले में अनिच्छुक रहा है, क्योंकि दुबई और दोहा जैसे केंद्र मुख्य रूप से भारतीय ट्रैफिक को उत्तरी अमेरिका और यूरोप की ओर ले जाते हैं। साथ ही साथ भारतीय विमानन कंपनियां लगातार वाइड-बॉडी वाले विमान शामिल कर रही हैं और उन लंबी दूरी के गंतव्यों के लिए अपने स्वयं की नॉन-स्टॉप उड़ानों का संचालन बढ़ा रही हैं।