लार्सन ऐंड टुब्रो के शेयरधारकों की सालाना आम बैठक बुधवार को होगी और गैर-कार्यकारी चेयरमैन की भूमिका में अनिल मणिभाई नाइक आखिरी बार शेयरधारकों को संबोधित करेंगे क्योंकि उनकी योजना इस साल सितंबर में पद छोड़ने की है। अमृता पिल्लै व देव चटर्जी को दिए साक्षात्कार में 81 वर्षीय नाइक ने कहा कि वह एलऐंडटी एम्पलॉयी ट्रस्ट की अगुआई करते रहेंगे और राष्ट्रीय हित वाली परियोजनाओं के अलावा दान व परोपकार पर ध्यान केंद्रित करेंगे। नाइक ने एलऐंडटी की चुनौतियों व उपलब्ध मौके पर विस्तार से अपनी राय रखी। संपादित अंश…
मौजूदा गैर-कार्यकारी भूमिका में कौन सी चीजें आपको व्यस्त रखती है?
मैं दान और परोपकार पर समय व्यतीत करता हूं। मैं अभी भी एलऐंडटी में नए नेतृत्व को संवारने में समय लगाता हूं। कंपनी के लिए सबसे अच्छा नेतृत्व तैयार करने के मामले में मैं जुनूनी हूं और मैं ऐसा करता रहूंगा। मैं हर दिन पांच घंटे सामान्य तौर पर व्यस्त रहता हूं और आखिर तक मैं ऐसे ही व्यस्त रहूंगा क्योंकि मैं उस ट्रस्ट का चेयरमैन बनूंगा, जिसका स्वामित्व एलऐंडटी के पास है।
विगत में आप एलऐंडटी के ढांचे के सरलीकरण की जरूरत का जिक्र कर चुके हैं। क्या आप एलऐंडटी के मौजूदा ढांचे से खुश हैं या फिर आप बदलाव चाहेंगे?
एस एन सुब्रमण्यन पिछले छह साल से कंपनी के सीईओ व एमडी हैं। मैंने साल 2000 में पहली बार रणनीतिक योजना शुरू की थी और बाद में हमने इसे लक्ष्य कहना शुरू किया। सुब्रमण्यन और मैंने साथ मिलकर जो कुछ किया है उसे कंपनी का वैल्यू सिस्टम पूरी तरह पचा चुका है और यह बेहतर करेगा। क्या हम एक बार फिर संगठित करना चाहते हैं? यह सतत प्रक्रिया है। उदाहरण के लिए हम ग्रीन एनर्जी में उतरना चाहते हैं और हजीरा में इस पर काम करने की योजना है। मैंने विगत में 16 कारोबारों को छोटे व गैर-प्रमुख में बांटा। मैं सुब्रमण्यन से कहता हूं कि कौन से कारोबार को त्यागना है और किस पर समय जाया नहीं करना है। यह आंतरिक तौर पर होता है। दो अन्य कारोबार को हमने पुनर्गठित किया है, जो अगले पांच साल में बड़े हो जाएंगे। एलऐंडटी के लिए प्लेटफॉर्म तैयार हो चुका है और मैं पहले ही हजीरा संयंत्र के साथ ऐसा कर चुका हूं।
ग्रीन एनर्जी पर आप हमें क्या जानकारी देंगे?
हजीरा में मैंने नया ढांचा बनाने का सुझाव नहीं दिया है और कहा है कि थर्मल पावर परियोजना का इस्तेमाल ग्रीन एनर्जी के लिए किया जाए। आंतरिक तौर पर हमने नया बिजनेस लीडर सुब्रमण्यन सरमा पाया है। हम इस क्षेत्र पर नजर रखेंगे क्योंकि बड़ी कंपनियां इसमें उतर रही हैं।
आप जब गैर-कार्यकारी की भूमिका छोड़ रहे थे तो आपने सुब्रमण्यन के लिए न्यूक्लियर को चुनौती बताया था। आप इसे अभी कैसे देखते हैं?
न्यूक्लियर एनर्जी देश में आगे नहीं बढ़ पाई है। यह सुब्रमण्यन के लिए चुनौती नहीं है बल्कि देश के लिए चुनौती है और उसे उसका सामना करना होगा। चुनौती यह है कि हमें प्लांट नहीं मिल रहे हैं, हम उसे ग्रीन पावर को दे रहे हैं।
आपके शब्दों में, आप शीघ्रता से आगे बढ़ने वाले व्यक्ति हैं, इस समय आपका ध्यान किस पर है?
राष्ट्रीय स्तर के सभी क्षेत्रों पर हमारी दिलचस्पी है, उदाहरण के लिए न्यूक्लियर। अगर प्रधानमंत्री मुझसे इस पर काम करने, मेरे विचार को अलग परियोजना व आरऐंडडी के तहत क्रियान्वित करने को कहेंगे तो मैं मुंबई से यह काम करने को इच्छुक हूं।