फिनलैंड की कंपनी एचएमडी ग्लोबल को क्या अपने ब्रांड नाम से स्मार्टफोन पेश करने से मोबाइल फोन बाजार में दोबारा वर्चस्व हासिल करने में मदद मिलेगी? जबकि उसके पास नोकिया ब्रांड का इस्तेमाल करने का लाइसेंस है, जिसे उसने माइक्रोसॉफ्ट से खरीदा है।
साल 2009 में नोकिया देश की सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी थी, जिसका राजस्व 4 अरब डॉलर था और 2010 में उसकी बाजार हिस्सेदारी 80 फीसदी को छू गई थी। उसके बाद उसका मुकद्दर दगा देने लगा। सिर्फ स्थानीय बाजार ही नहीं बल्कि निर्यात के लिए असेंबली प्लांट स्थापित करने वाली भी वह पहली वैश्विक कंपनी थी, लेकिन उसे साल 2014 में अपना परिचालन बंद करना पड़ा।
पिछले हफ्ते एचएमडी ने नई रणनीति का ऐलान किया। कंपनी ने कहा कि वह साल 2024 में दुनिया भर में अपने ब्रांड के नाम से स्मार्टफोन लेकर आएगी। इससे कयास लगाया गया कि यह नोकिया ब्रांड पर पर्दा गिरना हो सकता है, कम से कम स्मार्टफोन बाजार में। लेकिन कंपनी के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वह नोकिया फोन बनाना जारी रखेंगे और दुनिया भर में बहुब्रांड रणनीति की ओर बढ़ेंगे।
स्मार्टफोन बाजार में नोकिया की स्थिति भारत में खराब हो गई। काउंटरपाइंट रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक उसकी बाजार हिस्सेदारी साल 2013 के 4.5 फीसदी से घटकर साल 2022 व 2023 में महज 0.4 फीसदी पर स्थिर हो गई, जिसे चीन की आक्रामक कंपनियों और दक्षिण कोरिया की दिग्गज सैमसंग ने निचले स्तर पर पहुंचा दिया। अच्छे दिनों में सैमसंग भी नोकिया के बाद दूसरे पायदान पर थी।
हालांकि वह कम फीचर वाले फोन बाजार में अपनी गाड़ी आगे बढ़ाने की स्थिति में है जबकि इस श्रेणी में चीन की कंपनी ट्रांजियन सबसे ऊपर है और उसकी बाजार हिस्सेदारी 28 फीसदी है। लेकिन नोकिया अपनी बाजार हिस्सेदारी वापस पाने में सक्षम रही है, जो साल 2012 में 23.8 फीसदी थी और साल 2022 में वापसी के बाद उसकी बाजार हिस्सेदारी 12.8 फीसदी रही। उसकी बाजार हिस्सेदारी साल 2023 में बढ़कर 14.9 फीसदी पर पहुंच गई।
ब्रांड विशेषज्ञों में इस बात पर मतभेद है कि क्या निचले पायदान से नया ब्रांड तैयार करना भारत व वैश्विक स्तर पर कारगर हो पाएगा। रेडिफ्यूजन के चेयरमैन संदीप गोयल ने कहा कि यह उस पहलवान के चित होने की कहानी है जो कभी मोबाइल कारोबार में निर्विवाद रूप से अग्रणी था।
क्या दोबारा ब्रांडिंग कारगर होगी? इसकी संभावना बहुत कम है। ऐसा करने में अत्याधुनिक तकनीक, विशाल नवोन्मेष, उम्दा डिजायन और ब्रांड में भारी निवेश करना होगा तकि वैश्विक बाजार में उतरा जा सके और कामयाबी हासिल हो। मोबाइल कारोबार के विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि यह जोखिम भरा हो सकता है। काउंटरपाइंट रिसर्च के संस्थापक नील शाह ने इसे दोधारी तलवार करार दिया है।
शाह ने कहा कि किसी मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) का नोकिया जैसे स्थापित ब्रांड से दूर होने का ओईएम के भरोसे व ब्रांड इक्विटी पर कुछ असर होगा। उसके फीचर फोन कारोबार के लिए ब्रांड नाम उद्धारक रहा है, जो लाभकारी रहा और जिसने कंपनी को व्यापक स्मार्टफोन व सेवा क्षेत्र में हल्की फुल्की जगह बनाने की इजाजत दी।
उन्होंने कहा कि नोकिया ब्रांड का स्मार्टफोन पर न्यूनतम असर रहा है, ऐसे में नए एचएमडी ब्रांडिंग (खास तौर से स्मार्टफोन में) के साथ आगे बढ़ने से कंपनी को बुरे दौर से बाहर निकलने में वास्तव में मदद मिल सकती है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि भीड़ भरे व परिपक्व स्मार्टफोन बाजार में नया ब्रांड खड़ा करना बड़ा मुश्किल काम होगा और इसमें काफी धन खर्च करने की दरकार होगी।