सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को अदाणी-हिंडनबर्ग (Adani-Hindenburg) मामले की सुनवाई 14 अगस्त तक टाल दी। बाजार नियामक सेबी को इस तारीख तक इस मामले में अपनी जांच पूरी करनी होगी।
केंद्र व सेबी (SEBI) की तरफ से दलील पेश करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, हमें विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट मिली है। अभी तक सेबी को जो संदर्भ दिया गया था, कुछ दिशानिर्देश दे दिए गए हैं। हमने अपना जवाब दाखिल कर दिया है। यह रचनात्मक प्रत्युत्तर है। चूंकि यह देर से दाखिल किया गया, लिहाजा यह आपके सामने नहीं आया है।
मेहता सेबी के ताजा जवाब का हवाला दे रहे थे, जिसमें बाजार नियामक ने कहा था कि अपनी कार्यवाही व जांच के लिए सुरक्षित समयसारणी सामने रखना न तो उचित है और न ही संभव। रिपोर्ट के जरिये न्यायालय को सूचित किया गया कि 2019 में नियम में किया गया बदलाव विदेशी फंडों के लाभार्थियों की पहचान करना सख्त नहीं बनाता।
न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, जांच की क्या स्थिति ?
इस पर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, जांच की क्या स्थिति है? मेहता ने इसके जवाब में कहा, यह इस रिपोर्ट में है। हमें इसे रिकॉर्ड में रखने दीजिए। समिति की रिपोर्ट आने के बाद हमने जवाब दिया है।
अदाणी हिंडनबर्ग मामले में विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के बाद सर्वोच्च न्यायालय में जवाब दाखिल किया गया। जांच की निगरानी के अलावा पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए एम सप्रे की अगुआई वाली छह सदस्यीय समिति को सेबी के लिए ढांचागत सुधार पर सुझाव देना था।
मई में 173 पेज की अंतरिम रिपोर्ट में समिति ने सेबी के मौजूदा सांविधिक व नियामकीय ढांचे को मजबूत करने के लिए कई सिफारिश की है। इस बीच, एक याची के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की विशेषज्ञ समिति ने कहा था कि सेबी ने जो कुछ किया है उस आधार पर हम कह सकते हैं कि सेबी की कार्यवाही कहीं भी पहुंचने की संभावना नहीं है। उन्होंने ऐसी चीजें की हैं, जिससे जांच को झटका लगा।
सेबी ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर जवाब दाखिल किया
मुख्य न्यायाधीश ने मेहता से कहा कि सेबी की हालिया रिपोर्ट इस मामले से जुड़े पक्षकारों को दी जानी चाहिए। सेबी ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर जवाब दाखिल किया है।
अदालत ने पाया कि भूषण ने भी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर जवाब दाखिल किया है। भूषण ने पीठ से कहा, विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि सेबी की जांच कहीं भी नहीं पहुंच सकती क्योंकि उन्होंने अपारदर्शी ढांचे की परिभाषा, संबंधित पक्षकारों के लेनदेन को लेकर संशोधन किया है ताकि इस तरह की धोखाधड़ी को सामने आने से रोका जा सके। मुख्य न्यायाधीश ने मेहता से कहा, आप इस संशोधन की पृष्ठभूमि में जा सकते हैं और यह संशोधन क्यों पारित किया गया।