नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के आदेश के बाद बोइंग 737 मैक्स विमानों के पूरे बेड़े का परिचालन पिछले दो साल से ठप होना स्पाइसजेट के लिए कोविड-19 से भी बड़ी आफत थी। यह बात स्पाइसजेट के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने कही।
महज छह महीने के अंतराल पर दो विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने पर डीजीसीए ने मैक्स विमानों की उड़ान रोकने का आदेश दिया, जिसके बाद 3 मार्च 2019 को भारत में सभी मैक्स विमानों का परिचालन रोक दिया गया था। बोइंग द्वारा विमान में आवश्यक सुधार किए जाने के बाद 26 अगस्त 2021 को प्रतिबंध हटा लिया गया था।
सीएपीए इंडिया एविएशन समिट 2023 के एक सत्र को संबोधित करते हुए सिंह ने आज कहा, ‘जब पहला विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था तो हमें बताया गया कि पायलट ने जरूर कोई गलती की होगी। उसकी जांच चल रही रही थी कि दूसरा विमान भी हादसे का शिकार हो गया। उसके बाद मैक्स विमानों का पूरा बेड़ा खड़ा कर दिया गया। यह हमारे लिए कोविड-19 से भी बड़ी आपदा थी। हम अब भी इससे उबर ही रहे हैं।’
दुर्घटनाग्रस्त होने पहले विमान का परिचालन इंडोनेशियाई विमान कंपनी लायन एयर कर रही थी। वह 29 अक्टूबर 2018 को दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें 180 लोग मारे गए। इथियोपियन एयरलाइंस द्वारा संचालित दूसरा विमान 10 मार्च 2019 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया और उसमें 157 लोगों की मौत हो गई। स्पाइसजेट ने 2017 में 155 मैक्स विमानों का ऑर्डर दिया था और मार्च 2019 में परिचालन रोके जाने पर उसके बेड़े में ऐसे 12 विमान मौजूद थे।
सिंह ने कहा, ‘जब बेड़े का परिचालन रोका गया था तो हमें बताया गया था कि यह महज 15 दिन के लिए है। छोटे से प्रमाणन और मामूली सुधार के बाद यह उड़ने लगेगा। मगर कौन जानता था कि इसमें दो साल से अधिक समय लग जाएगा। मेरे हिसाब से स्पाइसजेट को उस समय इसी बात ने पटरी से उतार दिया।’
सिंह ने कहा कि स्पाइसजेट की फितरत बैठकर खुद पर रोने की नहीं है, उसके बजाय वह हमेशा आगे बढ़ना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘स्पाइसजेट का डीएनए ऐसा ही है। हम खत्म नहीं हो सकते।’ उन्होंने कहा कि विमानन कंपनी अपना ऋण बोझ घटाने पर ध्यान दे रही है और अगली कुछ तिमाहियों में इसका बहीखाता काफी अलग दिखेगा। स्पाइसजेट को 2018-19 में 316 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। उसके बाद वित्त वर्ष 2020 में 934 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2021 में 998 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2022 में 1,725 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
सिंह ने कहा कि कोविड के प्रकोप के बाद स्पाइसजेट अन्य विमानन कंपनियों के मुकाबले कमजोर हो गई थी। उन्होंने कहा, ‘हमने तय किया कि हम कारोबार बंद नहीं करेंगे और खत्म नहीं होंगे।’ जब यात्री विमान सेवाएं रोक दी गई थीं तो स्पाइसजेट ने अपने विमानों को कार्गो में लगा दिया।
स्पाइसजेट रकम की किल्लत से लगातार जूझती रही है और इसलिए पट्टा कंपनियों के भुगतान में देर हो गई। पिछले महीने उसके बोर्ड ने कार्लाइल एविएशन पार्टनर्स के 10 करोड़ डॉलर से अधिक का बकाया चुकाने के लिए उसे कंपनी में 7.5 फीसदी हिस्सेदारी दी।