लुभावने किराना बाजार में हिस्सा पाने के लिए एमेजॉन और फ्लिपकार्ट मुकाबला कर रहे हैं, वहीं अब देश भर में फैली करीब 1.2 करोड़ किराने की दुकानों को स्टार्टअप से मदद मिल रही है, जहां हर रोज 100 से 200 लेन-देन होते हैं। स्टार्ट अप के माध्यम से परंपरागत किराना की दुकानें डिजिटल माध्यमों से लेन-देन करने लगी हैं।
बीएसई और एनएसई में शेयर का कारोबार करने वाले आईआईटी के विद्यार्थी रहे समर्थ अग्रवाल ने 2016 में देखा कि उनके पड़ोस की किराना की दुकान तकनीकी रूप से सक्षम नहीं है। इस पर उन्होंने अपने पड़ोसी रोहित नारंग से चर्चा की, जिनके परिवार की दिल्ली में कुछ दुकानें हैं। कुछ दिन बाद अग्रवाल ने एक ऐप डेलवप किया, जिसके माध्यम से नारंग की दुकानों की बिक्री का प्रबंधन हो सके।
दोनों ने आपूर्ति शृंखला का अध्ययन किया और महसूस किया कि मात्रा कोई समस्या नहीं है, सही उत्पाद सही समय पर मिलना अहम बात है। ऐसे में दोनों ने मैक्स होलसेल शुरू किया, जो किराना स्टोर को डिजिटल बनाने का टेक स्टार्टअप है। कंपनी की सभी बिक्री, जो 20,000 खुदरा कारोबारियों को सेवाएं देती है, ऐप के माध्यम से होने लगी।
अग्रवाल ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य है कि अगले 5 साल में हमारे प्लेटफॉर्म के माध्यम से 10 लाख स्टोर खरीदारी करें। हम उन्हें तकनीक के साथ बिक्री की सुविधा मुहैया कराना चाहते हैं, जिससे वे अपने ग्राहकों को सामान बेच सकें और बी2बी2सी कंपनी बन सके। हम खुदरा कारोबारियों को ग्राहकों के प्रबंधन के लिए मुफ्त में तकनीक मुहैया करा रहे हैं।’ यह लक्ष्य हासिल करने के लिए कंपनी ने रेडियस नाम से एक ऐप पेश किया है। यह ऐप अभी बीटा फेज में है, जिसे दीपावली तक शुरू कर दिया जाएगा। जैसा कि नाम से प्रतीत होता है, 2 किलोमीटर की परिधि में स्थित कोई भी खुदरा कारोबारी इससे जुड़ सकता है। ग्राहक को डिजिटल सूची में इन दुकानों पर मिलने वाले सभी उत्पाद नजर आएंगे, जिसका प्रबंधन मैक्स होलसेल करेगी।
इस ऐप से ग्राहक ऑर्डर देने, चैट करने और दूर से भुगतान करने का काम कर सकते हैं। स्टार्टअप को लगता है कि इस पहल से किराना स्टोर की बिक्री 20 प्रतिशत के करीब बढ़ेगी।
सिर्फ मैक्स होलसेल ही नहीं, जंबोटेल और शॉपकिराना जैसे अन्य स्टार्टअप भी ऑर्डर, भंडार बनाने, डिलिवरी देने और डिजिटल भुगतान में किराना स्टोर की मदद की कवायद कर रहे हैं। वे किराना गोदाम के प्रबंधन को लेकर अनुमान लगाने में भी मदद करते हैं।
किराना दुकानों को खरीद की सेवाएं मुहैया कराने के साथ जंबोटेल उन्हें ओमनीचैनल स्टोर में बदलने का भी विकल्प देती है। एिक बार साइन-अप के बाद किराना स्टोर जंबोटेल के ब्रांड जे-24 स्टोर का हिस्सा बन जाते हैं। रिलेटर को एक पीओएस मिलता है, जो कंपनी की आपूर्ति शृंखला नेटवर्क के साथ जुड़ा होता है। इसके माध्यम से उसे ऑटो फुलफिलमेंट मिलता है। दुकान के मालिक को हर रोज जरूरत के मुताबिक हर रोज नई डिलिवरी मिलती है। आंकड़ों से पता चलता है कि उस दुकान से क्या खरीदा जाए। जंबोटेल के सह संस्थापक और सीओओ आशिष झीना ने कहा कि इससे आंकड़े मिलते हैं कि क्या बिक रहा है, क्या नहीं और किस कीमत पर दुकान पर ज्यादा ग्राहक आएंगे। कंपनी ने सोमवार को हेरोन रॉक, नेक्सस वेंचर पार्टनर्स, जंबोफंड व अन्य से 1.1 करोड़ डॉलर जुटाए हैं।
जे-24 के माध्यम से किराना दुकान चलाने वाले को अपने प्रदर्शन के बारे में जानकारी मिलती है, साथ ही नए उत्पादों के बारे में भी सुझाव मिलते हैं जिनका वह स्टॉक कर सकते है। साथ ही वह जे-24 के माध्यम से ऑनलाइन बिक्री कर सकते हैं और स्विगी और डुंजो जैसे पोर्टलों के माध्यम से ग्राहकों को डिलिवरी कर सकते हैं। कंपनी अगले 8-9 महीने में जे-24 प्रोग्राम के तहत 300 स्टोरों के साथ जुडऩे की कवायद कर रही है। इंदौर की शॉप किराना अपने खरीद प्लेटफॉर्म में कुछ फीचर्स बना रही है, जिससे किराना दुकानदारों को खाली समय में बीमा और यात्रा टिकट जैसे उत्पाद बेचकर अतिरिक्त लाभ कमाने में मदद मिल सके। बी2बी ई-कॉमर्स स्टार्टअप के सह संस्थापक सुमित घोरावत ने कहा, ‘किराना स्टोर ऑपरेटर एफएमसीजी की दुनिया के डॉक्टर की तरह होते हैं। उनका अपने ग्राहकों पर काफी असर होता है। ऐसे में ये लोग अहम विक्रेता हैं और पूरा पारिस्थितिकी तंत्र है जो किराना दुकानों के आसपास विकसित किया जा सकता है।’
कंपनी का दावा है कि उससे 8 मझोले शहरों के 50,000 किराना स्टोर जुड़े हुए हैं। जंबोटेल के झीना का मानना है कि करीब 25 से 30 प्रतिशत प्रमुख किराना अगले 5 साल में ब्रांडेड हो जाएंगे, जिससे किराना का पूरा पारिस्थितिकीतंत्र बदल जाएगा।
