REC: सरकारी कंपनी REC लिमिटेड ने अपने 2,848 करोड़ रुपये के बैड लोन को बेचने का ऐलान किया है। यह कर्ज कॉर्पोरेट पावर लिमिटेड (CPL) का है, जिसे एक स्विस चैलेंज नीलामी के जरिए बेचा जाएगा। शुरुआत हो चुकी है, और पहला एंकर बिड 58.65 करोड़ रुपये पर रखा गया है। अगर कोई दूसरी बिड नहीं आई, तो REC को इस डील से केवल 2.05% रकम वापस मिलेगी, यानी करीब 98% का नुकसान उठाना पड़ेगा।
CPL को 2006 में अभिजीत ग्रुप ने शुरू किया था। इसका मकसद झारखंड के लातेहार जिले में 540 मेगावाट का पावर प्लांट लगाना था। लेकिन कंपनी की हालत खराब हुई और अब यह लिक्विडेशन यानी खत्म होने की प्रक्रिया में है। REC का CPL में हिस्सा एक टर्म लोन के जरिए है, जिसे कई बैंकों के ग्रुप ने दिया था। इस लोन में REC का 19.55% हिस्सा है।
REC ने उन कंपनियों और निवेशकों से 28 जनवरी तक एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) मांगे हैं, जो इस बैड लोन को खरीदने में रुचि रखते हैं।
CPL की कहानी क्यों दिलचस्प है?
CPL को पहले दिवालिया घोषित किया गया था। वेदांता लिमिटेड ने इसे बचाने के लिए एक प्लान दिया था, लेकिन वह नियमों के मुताबिक सही नहीं पाया गया। इसके बाद कंपनी को लिक्विडेशन में डाल दिया गया। इतना ही नहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने CPL और इसके प्रमोटर्स के खिलाफ 4,000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग केस में 500 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी। ये आरोप हैं कि कंपनी और इसके प्रमोटर्स ने जालसाजी और धोखाधड़ी करके बैंक को चूना लगाया।
नीलामी का क्या होगा असर?
अगर REC को इस नीलामी में अच्छी काउंटर बिड मिलती है, तो यह कंपनी के लिए नुकसान कम करने का मौका हो सकता है। लेकिन फिलहाल, 98% का नुकसान REC के लिए बड़ी चुनौती है। अब सबकी नजरें 5 फरवरी को होने वाली स्विस चैलेंज नीलामी पर हैं। क्या REC को बेहतर डील मिलेगी, या एंकर बिड ही जीत जाएगी? यह देखना दिलचस्प होगा।