सितंबर 2022 को समाप्त होने वाले पिछले एक साल में गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में शुद्ध निवेश आधे से भी कम हो गया है। यह एक ऐसी अवधि है, जब सोने ने 9.5 प्रतिशत से अधिक रिटर्न के साथ ज्यादातर अन्य परिसंपत्ति वर्गों से बेहतर प्रदर्शन किया है।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों से पता चलता है कि निवेशकों ने अक्टूबर 2021 और सितंबर 2022 के बीच गोल्ड ईटीएफ में 2,094 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 4,188 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था।
एक साल से सोने के दाम सुस्त रहने के बाद इसी अवधि के दौरान इसने सुधार का प्रदर्शन किया। 12 महीनों के दौरान फरवरी 2022 में पहली बार ऐसा हुआ कि जब सोने ने 50,000 रुपये के स्तर पर जोरदार ढंग से वापसी की। इस सुधार के परिणामस्वरूप गोल्ड ईटीएफ में मजबूत प्रदर्शन नजर आया।
इक्रा के विश्लेषक एमएफआई 360 के आंकड़ों के अनुसार 30 सितंबर, 2022 को समाप्त एक वर्ष की अवधि में पांच गोल्ड ईटीएफ ने नौ प्रतिशत से अधिक रिटर्न दिया है। अन्य अधिकांश गोल्ड ईटीएफ का प्रदर्शन नौ से 8.5 प्रतिशत के दायरे में रहा। इस अवधि के दौरान सेंसेक्स में तीन प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई।
वर्ष 2022 की शुरुआत में (विशेष रूप से फरवरी में जब दामों में छह प्रतिशत इजाफा हुआ) सोने की कीमतों में उछाल मुख्य रूप से रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के दौरान तेज होती अनिश्चितताओं का नतीजा थी।
हालांकि, अक्टूबर में सोने के दामों में कमी आई, जिससे अधिकांश गोल्ड ईटीएफ का एक साल का रिटर्न 20 अक्टूबर को छह प्रतिशत से नीचे आ गया है। विश्लेषकों के अनुसार मध्य से लेकर दीर्घावधि तक सोने में और तेजी देखने को मिल सकती है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषकों ने कहा कि इस साल विस्तृत अर्थव्यवस्था का परिदृश्य जरूर हावी रहा है, लेकिन ध्यान मुख्य रूप से केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति, मुद्रास्फीति के दबाव और भू-राजनीतिक तनाव पर है।
अगर इन कारकों में कोई बदलाव होता है, तो हम कुछ शॉर्ट कवरिंग देख सकते हैं, जिससे सोने के दाम काफी अधिक और तेजी से बढ़ सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर निवेशक सोने के दाम 46,800 रुपये से 47,500 रुपये के दायरे में होने पर सोना एकत्रित करें, तो निवेशक मध्य अवधि में आठ प्रतिशत और दीर्घावधि में 17 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जब तक प्रमुख केंद्रीय बैंक अपना रुख नहीं बदलते, तब तक दामें पर दबाव जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि जब तक हम आक्रामक ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संबंध में प्रमुख केंद्रीय बैंकरों के रुख में बदलाव नहीं देखते यानी देखते हैं, तब तक हमें सोने के दामों पर दबाव दिखता रह सकता है।
