भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों में शुमार गोदरेज इंडस्ट्रीज को उपभोक्ता वस्तुओं, रसायन, रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में खासी सफलता मिली है। कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक नादिर गोदरेज ने मौजूदा आर्थिक परिवेश, विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति और कंपनी की योजनाओं के बारे में सुशील मिश्र से बातचीत की। प्रमुख अंश:
पिछले कुछ साल में कई उद्योग घरानों का कारोबार प्रभावित हुआ है। गोदरेज इंडस्ट्रीज पर क्या असर पड़ा है और उसकी क्या रणनीति है?
हमारे सभी कारोबारी क्षेत्रों में अच्छी वृद्धि हो रही है। पिछले साल कुछ क्षेत्रों में कुछ दिक्कत थी मगर अब दूर हो गई है। गोदरेज प्रॉपर्टीज बहुत अच्छा कर रही है, कंज्यूमर प्रोडक्ट्स का कारोबार भी सुधर रहा है। गोदरेज एग्रोवेट और एस्टेक लाइफसाइंसेज का प्रदर्शन भी बेहतर हो रहा है। गोदरेज कैपिटल का प्रदर्शन भी अच्छा है। एस्टेक लाइफ ने पर्यावरण के अनुकूल कृषि रसायन तैयार करने के लिए नवी मुंबई में नया अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) केंद्र शुरू किया है। अगले कुछ साल में हमें 15 से 20 फीसदी सालाना वृद्धि की उम्मीद है।
खाद्य तेल आयात घटाने का सरकार का प्रयास कितना प्रभावी लग रहा है। गोदरेज देश में पाम ऑयल का उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या कदम उठा रही है?
देश में उत्पादन बढ़ाने के लिए हमें नई तकनीकि का भरपूर उपयोग करना होगा। इससे किसानों की लगात कम होगी और उत्पादन बढ़ेगा तो उनकी आमदनी बढ़गी, जिससे किसान पाम आयल की खेती के तरफ आकर्षित होगें। पाम ऑयल के लिए गोदरेज 1990 से ही पौधे लगा रही है। हमारा सबसे ज्यादा उत्पादन आंध्र प्रदेश में है और अब हम तेलंगाना के साथ पूर्वी राज्यों मिजोरम, असम, मणिपुर तथा त्रिपुरा में भी प्लांटेशन को बढ़ावा दे रहे हैं। फिलहाल हम सालाना 1 लाख टन से ज्यादा पाम ऑयल उत्पादन कर रहे हैं। इसके लिए खेती में हर साल 20,000 हेक्टेयर इजाफे की हमारी योजना है। इसकी खेती में जुटे किसानों को हम हर तरह से मदद कर रहे हैं और हमारे प्रयासों तथा सरकारी नीतियों से किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है। हमें उम्मीद है कि अब खाद्य तेलों में आयात पर निर्भरता घटने लगेगी और अगले 20 साल में भारत आत्मनिर्भर हो जाएगा।
देश में दूध और डेरी उत्पादों के उत्पादन में गिरावट की आशंका जताई जा रही है। आपका क्या कहना है?
भारत में दूध का उत्पादन कम नहीं है मगर हमें प्रोटीन युक्त दूध पर जोर देने की जरूरत है। गोदरेज के साथ दूसरी कंपनियां भी इस क्षेत्र में काम कर रही हैं। हम भरोसे के साथ कह सकते हैं कि आने वाले कुछ साल में भारत डेरी उत्पादों के उत्पादन और निर्यात में अव्वल होगा। यही स्थिति कपास, सोयाबीन और पाम ऑयल में होगी।
हरित रसायन में विस्तार की आपकी कोई योजना है?
हरित रसायन तो नहीं मगर हरित खाद्य और हरित जैव ईंधन पर हम ध्यान बढ़ा रहे हैं। भारती में सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की ज्यादा बात होती है मगर जैव ईंधन के विकास की भी अच्छी संभावनाएं हैं। हम हरित जैव ईंधन बनाने के लिए नई किस्म के बांस के पेड़ लगाने की कोशिश में हैं।
पिछले एक साल में आवास ऋण महंगा हुआ है। गोदरेज प्रॉपर्टीज पर इसका क्या असर पड़ा है?
दरें बढ़ाकर सरकार मांग कमजोर करना चाह रही है। हमारे हिसाब से देश में मांग कम करने के बजाय आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि ब्याज दरें बढ़ने पर सबसे ज्यादा तकलीफ आम जनता को होती है। मुझे लगता है कि अब ब्याज दरों में वृद्धि का सिलसिला थम जाएगा। इसे बढ़ाने की जरूरत भी नहीं है क्योंकि वैश्विक मंदी के कारण महंगाई नीचे आने लगी है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा। जहां तक गोदरेज प्रॉपर्टीज का सवाल है तो मकानों की मांग और बिक्री घटने के बजाय बढ़ी ही है। पिछले वित्त वर्ष में गोदरेज प्रॉपर्टीज की बुकिंग और बिक्री 56 फीसदी बढ़ी । वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी की बुकिंग और बिक्री 7,861 करोड़ रुपये थी, जो 2022-23 में बढ़कर 12,232 करोड़ रुपये हो गई।
भारत जी 20 का अध्यक्ष बना है और सतत वृद्धि पर जोर दे रहा है। इससे देश को कितना फायदा होगा और गोदरेज समूह इसमें किस तरह योगदान दे रहा है?
जी20 का अध्यक्ष बनने से भारत को बहुत फायदा होगा। विश्व स्तर पर हमारी साख बढ़ेगी और आर्थिक वृद्धि तेज करने में भी मदद मिलेगी। भारत में सतत विकास की दिशा में अच्छा काम हो रहा है मगर हमारे हिसाब से और भी बेहतर कर देश पूरी दुनिया में मिसाल बन सकता है। गोदरेज समूह भी इसमें योगदान कर रहा है। हम शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। सीएसआर के जरिये हम पहले ही खपत से ज्यादा पानी बचाते हैं।
अर्थव्यवस्था की आज की स्थिति से आप संतुष्ट हैं? वृद्धि की राह में महंगाई कितना बड़ा रोड़ा है?
उदारीकरण के बाद अर्थव्यवस्था में बहुत सुधार किए गए हैं मगर अभी काफी काम बाकी है। प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा, प्राथमिक शिक्षा में सुधार किए बगैर हम वृद्धि की रफ्तार तेज नहीं कर सकते। अभी हमारे यहां अमीर और गरीब के बीच असमानता की खाई बढ़ती जा रही है, जिसे पाटना होगा। भारत में महंगाई काफी हद तक जिंस के कारण है, जिनका उत्पादन नई तकनीक के जरिये ही बढ़ सकता है।
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रूस-यूक्रेन युद्ध से बदल रही विश्व व्यवस्था में भारत सबसे ऊपर पहुंचेगा?
यह कहना जल्दबाजी होगी। अब भी हम निर्यात से अधिक आयात करते हैं, जिसके कारण चालू खाते का घाटा बढ़ रहा है। अभी हम पूरी तरह आत्मनिर्भर नहीं हैं। हां, भारत बड़ा बाजार है और हमें अपनी यह ताकत समझनी होगी। कृषि और छोटे उद्योगों को मजबूत करने से भारत आत्मनिर्भर बनने के साथ निर्यातक भी बनेगा, जिससे दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में हमें मदद मिलेगी।
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वर्ष के सबसे सम्मानित भारतीय उद्योगपति का सम्मान प्राप्त करने के बाद अब भविष्य की नीतियां कैसी रहेंगी?
गोदरेज का सौभाग्य रहा है कि हम अपने नए उत्पाद और सॉल्यूशन देकर राष्ट्र के विकास में योगदान कर रहे हैं। देश को वेक्टर जनित बीमारियों से बचाने या स्थायित्वपूर्ण जीवन प्रदान करने के लिए कृषि क्षेत्र के सॉल्यूशन्स समेत विभिन्न कारोबारों में हमने खुद को भारत की आकांक्षाओं से जोड़ा है। भारत को सबसे बेहतर मुकाम पर पहुंचने के लिए हम अपनी कोशिशें जारी रखेंगे।