पिछले साल दिसंबर में जब डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) की परिकल्पना की गई थी, तब एमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स दिग्गजों का दबदबा कम करने की योजना थी। यह देश के विखंड़ित, लेकिन तेजी से बढ़ते एक लाख करोड़ डॉलर के खुदरा बाजार में छोटे कारोबारियों को समान अवसर प्रदान करने के लिए भी था।
हालांकि अब ये लक्ष्य बदल गए हैं, क्योंकि फ्लिपकार्ट, एमेजॉन और ईकॉम एक्सप्रेस जैसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां ओएनडीसी टीक के साथ विभिन्न स्तर पर बातचीत कर रही हैं।
उद्योग के सूत्रों के अनुसार वे नेटवर्क के साथ एकीकरण के साथ-साथ इसे बनाने के लिए अपनी विशेषज्ञता प्रदान करने जैसी साझेदारी करना चाहते हैं। हालांकि इन बड़ी कंपनियों में से कोई भी अपने बड़े खरीदार या विक्रेता नेटवर्क को अब तक ओएनडीसी पर नहीं लाए हैं।
गूगल और रिलायंस समर्थित डंजो, पेटीएम, फोनपे और रिलायंस रिटेल के स्वामित्व वाली लॉजिस्टिक कंपनी ग्रैब जैसे भागीदार भी हैं, जो विभिन्न सेवाएं प्रदान करने के लिए ओएनडीसी में शामिल हो रहे हैं।
उद्योग के एक सूत्र ने कहा कि शुरू में ओएनडीसी की कल्पना दुनिया में एमेजॉन और फ्लिपकार्ट का दबदबा कम करने और भारत में ई-कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण करने वाले मंच के रूप में की गई थी। उन्होंने कहा कि अब ओएनडीसी इस प्लेटफॉर्म के निर्माण के लिए विभिन्न साझेदारी बनाने के लिए फ्लिपकार्ट, एमेजॉन और अन्य कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है।
एमेजॉन अपनी विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए ओनएडीसी के साथ काम कर रहा है। अपने ई-कॉमर्स का बुनियादी ढांचा तैयार करने और उपभोक्ताओं के बीच विश्वास बनाने में फर्म को एक दशक का समय लगा तथा 6.5 अरब डॉलर से अधिक का निवेश करना पड़ा।
कंपनी ने कहा है कि वह पूरी तरह से सरकार के डिजिटलीकरण दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें किराना, स्थानीय दुकानों तथा छोटे और मध्यम कारोबार शामिल हैं। अलबत्ता वह ओनएडीसी प्लेटफॉर्म के आर्किटेक्चर के संबंध में स्पष्टता प्रदान कराने की प्रतीक्षा कर रही है। एक सूत्र ने कहा कि आर्किटेक्चर के संबंध में स्पष्टता होने के बाद, आप एमेजॉन को यथा संभव अधिक से अधिक समाधान के साथ साझेदारी करते हुए पाएंगे।
एमेजॉन की मुख्य प्रतिस्पर्द्धी फ्लिपकार्ट भी अपनी आपूर्ति श्रृंखला की लॉजिस्टिक शाखा ईकार्ट को एकीकृत करने के लिए ओएनडीसी के साथ काम कर रही है। इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि ईकार्ट ओएनडीसी के आपूर्ति श्रृंखला के भागीदारों में शुमार होगी। इन्फोसिस के चेयरमैन और ओएनडीसी की सलाहकार परिषद के सदस्य नंदन नीलेकणि ने कहा ‘भारत ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म बना रहा है, जो खुला, समावेशी और सार्वभौमिक हैं तथा वह और ज्यादा अवसर पैदा करता है।’
इसका उद्देश्य डिजिटल लेनदेन के सकल व्यापारिक मूल्य (जीएमवी) को सालाना 4.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक करना है।